नई दिल्ली। अगर आपके पास छोटी-हल्की कार है और यह सड़कों को कम नुकसान पहुंचाती है तो आपको राजमार्गों और एक्सप्रेस वे पर कम टोल देना पड़ सकता है। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय अगले साल नई टोल नीति जारी करने जा रहा है और इसमें जीपीएस आधारित टोल प्रणाली के साथ वाहनों के आकार-प्रकार और सड़कों के ढांचे पर उससे पड़ने वाले असर के आधार पर भी टोल की गणना हो सकती है। गाड़ी के आकार के आधार पर टोल वसूली का विचार मौजूदा प्रणाली से अलग होगा, क्योंकि अभी टोल की वसूली निश्चित दूरी पर आधारित है।
वाहनों के आकार के आधार पर लगेगा टैक्स
बदलाव के बाद टोल वसूली का आधार हाईवे पर लिए गए वास्तविक समय और दूरी से तय होगा। वाहनों के आकार के आधार पर टोल वसूली के विचार के पीछे सोच यह है कि इसकी गणना इससे की जाए कि कोई वाहन सड़क पर कितनी जगह घेरता है और इसके चलते किसी सड़क पर कितना बोझ पड़ता है।
आइआइटी बीएचयू को मिला प्रोजेक्ट
यही बोझ सड़क के टूटने-फूटने का कारण बनता है। मंत्रालय की ओर से अभी इस बारे में अधिकृत रूप से कुछ नहीं कहा गया है लेकिन आइआइटी बीएचयू में सड़क परिवहन के प्रोफेसर डा. अंकित गुप्ता ने बताया कि केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय से उन्हें पैसेंजर कार यूनिट (पीसीयू) तैयार करने का प्रोजेक्ट मिला है।
सड़क पर पड़ने वाले लोड का होगा आकलन
इसमें किसी कार से सड़क पर पड़ने वाले लोड का आकलन करना है। अभी प्रोजेक्ट पर काम शुरू नहीं हुआ है, लेकिन हम जल्द ही इस पर काम शुरू करेंगे और अपनी रिपोर्ट मंत्रालय को सौंपेंगे। पीसीयू का निर्धारण कई साल पहले किया गया था और तब से वाहनों के आकार और उनकी रफ्तार में बहुत बदलाव आ चुका है।
छोटी कार मालिकों को कम टोल चुकाना होगा
आइआइटी-बीएचयू को पीसीयू में इसी बदलाव का फार्मूला बताना है। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी पहले भी कई बार जीपीएस आधारित टोल प्रणाली जल्द से जल्द लागू करने का एलान कर चुके हैं और अब संशोधित पीसीयू के आधार पर टोल की गणना के प्रस्ताव का मतलब है कि अगर आपके पास छोटी-हल्की कार है और आप किसी हाईवे पर कम दूरी तय करते हैं तो आपको बहुत कम टोल चुकाना होगा, जबकि बड़े और भारी वाहन लंबी दूरी तय करते हैं तो उन्हें ज्यादा यूजर चार्ज देना होगा।