इस बैठक में खड़गे, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, पार्टी के वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी, जयराम रमेश एवं आनंद शर्मा, शिवसेना नेता संजय राउत, द्रमुक नेता टीआर बालू, समाजवादी पार्टी के नेता रामगोपाल यादव और कई अन्य दलों के नेता शामिल हुए. मानसून सत्र के लिए लोकसभा की बैठक अनिश्चितकाल के लिए स्थगित होने के बाद चौधरी ने संसद परिसर में संवाददाताओं से कहा कि पहले यह कहा गया था कि सदन 13 अगस्त तक चलेगा. सरकार ने अचानक से फैसला किया कि सदन चलाने की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार पेगासस मामला, महंगाई, केंद्रीय कृषि कानूनों और कोविड टीकाकरण को लेकर चर्चा चाहती थी.
कांग्रेस नेता ने कहा कि हमारी मांग थी कि तीन काले कानून को रद्द किया जाए. जब पेगासस का मामला सामने आया तो हमने सरकार को समझाने की कोशिश की कि पेगासस कोई छोटा मुद्दा नहीं है, इस पर चर्चा करना चाहिए. लेकिन सरकार ने इस विषय पर चर्चा होने का मौका नहीं दिया. उन्होंने कहा कि हमारी मांग जायज थी क्योंकि सरकार ने पेगासस के मामले पर लोकसभा में एक बयान दिया और राज्यसभा में दूसरा बयान दिया. रक्षा मंत्रालय एक बयान, विदेश मंत्रालय दूसरा और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय तीसरा बयान देता है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सरकार को हमारी मांग माननी चाहिए थी. सदन को सुचारू रूप से चलाना सरकार की जिम्मेदारी होती है.