- केरल में आई मूसलाधार बारिश ने प्रदेश में भीषण तबाही मचाई है। इसी बारिश ने बीचे सितंबर में महाराष्ट्र, गुजरात, उप्र, बिहार और असम आदि राज्यों में भी कहर बरपाया था। मुंबई में लगातार तीसरे साल 3,000 मिलीमीटर के पार बारिश का आंकड़ा पहुंच गया। कोरोना की मार से अभी केरल उबरा भी नहीं था कि भीषण बारिश के चलते आई बाढ़ ने इसकी मुश्किलें और बढ़ा दी हैं।
वहीं भूस्खलन ने अचानक आई इस तबाही को बढ़ाने में और अहम भूमिका निभाई है। केरल के कोट्टायम और इड्डुक्की आदि जिलों के पहाड़ी इलाकों में वर्ष 2018 की विनाशकारी बाढ़ जैसे हालात बने हैं। नदियां खतरे के निशान को पार कर गई हैं। हजारों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। हालांकि संकट की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन ने हाईअलर्ट जारी कर दिया है। राज्य सरकार के अनुसार तो अभी तक 36 लोगों की ही मौत हुई है, लेकिन कहा जा रहा है कि वहां मरने वालों की तादाद इससे कहीं अधिक हो सकती है। वहीं लापता लोगों की संख्या अभी तक स्पष्ट नहीं है। कोट्टायम के कोट्टिकल इलाके में मरने वालों की तादाद सबसे ज्यादा है।
असल में केरल और उत्तराखंड में अचानक आई इस बाढ़ को वैज्ञानिक बादल फटने की घटना से जोड़कर देख रहे हैं। कोचीन स्थित विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय भी इस बात की पुष्टि करता है कि इसके पीछे छोटे बादलों का फटना अहम वजह है। केरल के पश्चिमी घाट का ऊंचाई वाला पहाड़ी इलाका भूस्खलन की दृष्टि से अति संवेदनशील है। कोट्टायम और इड्डुक्की जिले के सबसे ज्यादा प्रभावित इलाकों में केवल दो घंटे के भीतर ही पांच सेमी से अधिक बारिश हुई है। मौसम विभाग की भी मानें तो एक छोटी सी अवधि में पांच से 10 सेमी की बारिश छोटे बादलों के फटना से ही होती है। भारी बारिश के चलते कोट्टायम, इड्डुक्की, त्रिशूर आदि जिलों में रेड अलर्ट और तिरुवनंतपुरम, कोल्लम, कोङिाकोड और वायनाड में आरेंज अलर्ट जारी किया गया है।