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- प्रशासन, पुलिस और चिकित्सा सेवा से जुड़े अधिकारियों के पास है बीएसएनएल का सीयूजीमोबाइल
- आम लोग से ले कर प्रशासनिक अमला तक रहा परेशान
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बिहारशरीफ (आससे)कोविड-19 संकट के दौर में जिला प्रशासन के अधिकारियों पुलिस महकमा सेजुड़े अधिकारी के साथ ही स्वास्थ्य महकमा के लोगों के लिए एक चुनौती है रोज ऐसे लोग नई नईचुनौतियों का मुकाबला कर रहे हैं। सरकार का उद्देश्य बस एक है इस महामारी और संकट से लोगों कोमुक्ति दिलाए जाए। निश्चित तौर पर ऐसे में संचार का बहुत बड़ा महत्व है लेकिन दुर्भाग्य है कि नालंदा जिले में बीएसएनएल का नेटवर्क पिछले 4 दिनों से लगभग ठप रहा।
गुरुवार को दोपहर बादबीएसएनएल का नेटवर्क ठीक हुआ है हालांकि अभी भी कॉल लगने में परेशानी हो रही है विडंबना तो यह है कि सरकारी महकमा रहा बीएसएनएल ना जाने कितनी बड़ी कोल्ड की जिसे दूर करने में 4 दिन का समय बिता दिया। इस बीच सभी विभागों के अधिकारी प्रशासनिक मोकामा के लोग और पुलिसकर्मियों के बीच संवाद हीनता की स्थिति उत्पन्न हो गई। जनता भी अधिकारियों के पास कॉलकर यह समझ रही थी कि अधिकारी जानबूझकर उनका कॉल अटेंड करने के बजाए अपना मोबाइल यह तो बंद कर दिए हैं यह दूरी बना रखे हैं वजह यह थी कि कॉल करने पर रिप्लाई मिलता था।
जीमोबाइल बंद है जी हां यह बिल्कुल सच है कि रविवार से ही बीएसएनएल का नेटवर्क ठीक-ठाक नहींचल रहा था। सोमवार की बीच की लगभग यही रही लेकिन मंगलवार और बुधवार दो नेटवर्क रहा ही नहीं कहीं ना कॉल आ रहा था और ना कहीं कॉल जा रहा था। खास बात यह है कि चाहे प्रशासनिकमहकमा के लोग हो या फिर पुलिस महकमा के सबों के पास बीएसएनएल का ही सरकारी सीयूजीनंबर है और थोड़ा और स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सा पदाधिकारी से लेकर सिविल सर्जन और मेडिकल कॉलेज से जुड़े लोगों तक को सरकारी स्तर पर जो-जो फोन दिया जो मोबाइल दिया गया है वह बीएसएनएल का ही है।
ऐसे में अधिकारियों के बीच भी संवाद हीनता की स्थिति उत्पन्न हो गईजनता भी फोन करके परेशान थी। लेकिन कोई सुनने वाला नहीं था। कोविद के इस मुश्किल दौर में पल-पल जहां लोगों की मौतें हो रही है ऐसे में संचार एक बहुत बड़ा उपकरण है जिसके जरिए कम्युनिकेशन बना रहता है और आवश्यकतानुसार कार्रवाई भी होती है बावजूद इसके बीएसएनएल द्वारा बरती गई लापरवाही निश्चित तौर पर महामारी के इस दौर में अभी नहीं समझी जाएगी।