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सोमवार को 11.50 बजे अपने वकील के साथ महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुचा प्रवर्तन निदेशालय के दफ्तर पहुंचे थे। आधी रात तक प्रवर्तन निदेशालय ने उनसे पूछताछ की और इसके बाद मनी लान्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार कर लिए गए।
नई दिल्ली, एएनआइ। मनी लांड्रिंग के आरोपों में घिरे महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 12 घंटे से अधिक समय तक पूछताछ करने के बाद सोमवार देर रात गिरफ्तार कर लिया। देशमुख सोमवार को अपने वकील के साथ दिन में ही 11.50 बजे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के समक्ष पहुंचे और उनसे आधी रात के बाद तक पूछताछ का क्रम चला। देशमुख के वकील इंद्रपाल सिंह ने कहा, ‘हमने मामले से जुड़े मामले की जांच में सहयोग किया। आज कोर्ट में जब उन्हें पेश किया जाएगा तब हम उनके रिमांड का विरोध करेंगे।’
बता दें कि सोमवार सुबह करीब नौ बजे प्रवर्तन निदेशालय के संयुक्त निदेशक सत्यव्रत कुमार को कुछ अन्य अधिकारियों के साथ दफ्तर जाते देखा गया था। मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह द्वारा देशमुख के विरुद्ध पुलिस अधिकारियों के माध्यम से 100 करोड़ रुपये हर महीने वसूली की शिकायत किए जाने के बाद बांबे हाई कोर्ट ने उनके विरुद्ध सीबीआइ जांच के निर्देश दिए थे। यह आदेश आने के बाद ही सीबीआइ ने देशमुख के विरुद्ध प्राथमिक जांच शुरू कर दी थी और उन्हें महाराष्ट्र के गृह मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था।
ईडी अब तक पांच बार देशमुख को पूछताछ के लिए हाजिर होने का समन भेज चुकी है। पिछले सप्ताह बांबे हाई कोर्ट ने उनको राहत देने से इन्कार कर दिया था। सोमवार को ईडी के सामने पेश होने से पहले देशमुख ने अपने ट्विटर हैंडल पर एक वीडियो और पत्र जारी करके कहा कि हालांकि उच्च न्यायालय ने मुझे संवैधानिक अधिकार के तहत विशेष अदालत में जाने की स्वतंत्रता दी है। लेकिन फिर भी मैं आज ईडी कार्यालय जाऊंगा और जांच में सहयोग करूंगा।
बता दें कि पिछले शुक्रवार को ही उच्च न्यायालय उनकी उस याचिका को खारिज कर चुका है, जिसमें उन्होंने ईडी द्वारा भेजे जा रहे समन को रद करने की मांग की थी। न्यायमूर्ति नितिन जमादार एवं सारंग कोतवाल की खंडपीठ ने साफ कर दिया था कि देशमुख की याचिका सीबीआइ और ईडी को उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने से रोकने के आदेश के योग्य नहीं है। हालांकि, अदालत ने उन्हें थोड़ी राहत देते हुए कहा था कि यदि देशमुख को अपनी गिरफ्तारी की आशंका है तो इससे बचने के लिए वे आम आदमी की तरह उचित अदालत में जा सकते हैं।