नई दिल्ली, । पूर्व कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने आरोप लगाया कि भारतीय न्याय संहिता विधेयक लाने के पीछे भाजपा सरकार की राजनीतिक मंशा है। उन्होंने कहा कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) को बदलने वाले ये प्रस्तावित कानून राजनीतिक उद्देश्यों के लिए क्रूर पुलिस शक्तियों के उपयोग की अनुमति देता है।
विरोधियों को चुप कराना है एजेंडा
राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने यह भी दावा किया कि ऐसे कानून लाने के पीछे सरकार का एजेंडा विरोधियों को चुप कराने का है। आपराधिक कानूनों में आमूल-चूल बदलाव करते हुए, केंद्र ने शुक्रवार को लोकसभा में आईपीसी, आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को बदलने के लिए तीन विधेयक पेश किए।
इसमें अन्य बातों के अलावा, राजद्रोह कानून को निरस्त करने और एक नया प्रावधान पेश करने का प्रस्ताव है।
सिब्बल ने किया ट्वीट
एक ट्वीट में, राज्यसभा सांसद सिब्बल ने कहा,
भारतीय न्याय संहिता (2023) (बीएनएस) राजनीतिक उद्देश्यों के लिए कठोर पुलिस शक्तियों का उपयोग करने की अनुमति देता है। बीएनएस ऐसा विधेयक है जो राज्य की सुरक्षा को खतरा पहुंचाने वाले व्यक्तियों पर मुकदमा चलाने से पहले 15 से 60 या 90 दिनों तक की पुलिस हिरासत की अनुमति देता है। इसका केवल यही एजेंडा है कि विरोधियों को चुप कैसे कराया जाए।
महिलाएं होंगी सशक्तः शाह
बीएनएस विधेयक मानहानि और आत्महत्या के प्रयास सहित मौजूदा प्रावधानों में कई बदलावों का प्रावधान करता है और ‘धोखेबाजी’ से महिला से यौन संबंध बनाने वाले को 10 साल की सख्त सजा दिलाने का काम करेगा। शाह ने कहा है कि ये सब बदलाव त्वरित न्याय प्रदान करने के लिए किए गए हैं।