मेरठ। यह नए दौर की भाजपा है जिसे जातीय गुलदस्ता सजाने में महारत हासिल है। इस बहाने पार्टी चुनावी धरातल पर संदेशों का नया पिरामिड खड़ा कर देती है। हरियाणा में नायब सिंह सैनी (Nayab Singh Saini) को मुख्यमंत्री बनाकर ओबीसी वोटों की गठरी को कसा, वहीं राज्य से सटे पश्चिम उत्तर प्रदेश में सैनी समीकरण को साधने का भी प्रयास है।
सहारनपुर, शामली, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, बागपत, नगीना, मेरठ से लेकर संभल और अमरोहा तक बड़ी संख्या में सैनी वोट हैं जिसे उस अनुपात में पहली बार इतनी बड़ी राजनीतिक भूमिका मिली है।
सीएम कार्ड से भुनाएंगे सैनी फैक्टर
चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के राजनीति विभाग के विभागाध्यक्ष डा. संजीव शर्मा कहते हैं कि ‘यूपी में पिछड़ों और अति पिछड़ों की संख्या ज्यादातर सीटों पर 50 से 60 प्रतिशत तक है, जिसमें सैनी, पाल, प्रजापति, कश्यप, जोगी, धीमर, बिंद समेत दर्जनभर से ज्यादा उपजातियां हैं। यह वोटबैंक वर्ष 2014 से भाजपा की जीत की कुंजी बना हुआ है।’
हरियाणा से सटी यूपी की सीमा में कैराना, सहारनपुर एवं मुजफ्फरनगर में सैनी वोट निर्णायक साबित होता है। दो साल पहले खतौली विधानसभा में विधायक विक्रम सैनी की सदस्यता खत्म होने के बाद भाजपा यह सीट उपचुनाव में हार गई, वहीं 2022 विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा छोड़कर साइकिल की सवारी करने वाले डा. धर्म सिंह सैनी की भाजपा में वापसी रोकी गई।
हालांकि योगी सरकार में सहारनपुर से जसवंत सैनी को राज्यमंत्री बनाकर समीकरण साधने का प्रयास किया गया, लेकिन वोटों की संख्या के अनुपात में प्रतिनिधित्व कम बताया गया। सितंबर 2023 में डा. सुधीर सैनी को मुजफ्फरनगर को जिलाध्यक्ष बनाया गया।
मध्यप्रदेश के बाद अब हरियाणा से संदेश
भाजपा ओबीसी वोटबैंक को कसने के लिए तरकश का हर तीर चल रही है। पार्टी ने मध्यप्रदेश में मोहन यादव को सीएम बनाकर पूर्वांचल से लेकर मध्य यूपी तक का समीकरण मथा। इस क्षेत्र में यादव वोटों की भारी तादात सपा की बड़ी ताकत है। पार्टी ने उन्हें आजमगढ़ का टास्क दिया। अब इटावा, कन्नौज, शिकोहाबाद, बदायूं जैसी सीटों पर भी उनके दौरे होंगे।
इसी तर्ज पर हरियाणा के सीएम नायब सिंह सैनी की चुनावों के दौरान पश्चिम उप्र में बड़ी मांग होगी। चूंकि पश्चिम यूपी में सपा और बसपा की भी नजर ओबीसी वोटों पर टिकी है, ऐसे में भाजपा सतर्क है।
इनका कहना है….
भाजपा केंद्र और राज्य सरकार के एतिहासिक कामकाज, अपनी विचारधारा और मजबूत संगठन के दम पर चुनाव लड़ने जा रही है। पार्टी की नजर शोषित व वंचित चेहरों को खुशहाल बनाना है, इसे जातीय समीकरण के नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए।- सतेंद्र शिशौदिया, क्षेत्रीय अध्यक्ष, पश्चिम क्षेत्र