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हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानव्यापी मस्जिद में पुरातात्विक सर्वेक्षण को मंजूरी


काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानव्यापी मस्जिद मामले में वाराणसी कोर्ट ने पुरातात्विक सर्वेक्षण की इजाजत दे दी है। गुरुवार को फास्ट ट्रैक कोर्ट के जज आशुतोष तिवारी ने यह बड़ा फैसला सुनाया। इस मामले में मंदिर के पक्षकार विजय शंकर रस्तोगी ने 10 दिसंबर 2019 को कोर्ट में याचिका दायर की थी। लंबी बहस के बाद कोर्ट ने गुरुवार को विवादित स्थल के पुरातात्विक सर्वेक्षण को मंजूरी दी है।

केंद्र और राज्य सरकारें उठाएंगी सर्वेक्षण का खर्च

कोर्ट ने अपने आदेश में बताया है कि इस सर्वेक्षण का खर्च केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर उठाएंगी। सर्वेक्षण की रिपोर्ट कोर्ट में पेश की जाएगी। ASI के निदेशक पांच सदस्यों की टीम बनाकर यह सर्वेक्षण कराएंगे। टीम में अल्पसंख्यक समुदाय के दो सदस्यों का होना जरूरी है। किसी सेंट्रल यूनिवर्सिटी से संबंधित विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्र का एक व्यक्ति इस सर्वेक्षण कार्य का ऑब्ज़र्वर रहेगा। मंदिर पक्ष के पक्षकार इस फैसले को बड़ी जीत बता रहे हैं

सुबह 9 से शाम 5 के बीच होगा सर्वेक्षण

कोर्ट ने कहा कि रोजाना सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे के बीच सर्वे किया जाएगा। इसमें GPR तकनीक और Geo Radiology System की मदद ली जाएगी। समूचे सर्वे की वीडियोग्राफ़ी के साथ कलर और ब्लैक एंड व्हाइट फ़ोटोग्राफ़ी भी जरूरी है। कोई भी पक्ष ASI की कमेटी पर दबाव नहीं बना सकता है।

मुस्लिम नागरिकों को नमाज से न रोकें

सर्वे के दौरान मीडिया को मौजूद रहने की इजाज़त नहीं दी गई है और न ही कमेटी का कोई भी सदस्य मीडिया से बातचीत कर सकता है। सर्वे के दौरान मुस्लिम समुदाय के नागरिकों को नमाज़ से नहीं रोका जाएगा। इसकी जिम्मेदारी प्रशासन के ऊपर रहेगी। सर्वे खत्म होने पर पूरी रिपोर्ट सील कवर लिफ़ाफ़े में कोर्ट में पेश करनी होगी। अयोध्या के बाद यह देश का दूसरा ऐसा मामला है, जिसमें मंदिर-मस्जिद की जमीन तय करने के लिए पुरातात्विक सर्वेक्षण के आदेश दिए गए हैं।

क्या है पूरा मामला

माना जाता है कि औरंगजेब ने मंदिर तोड़कर ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण करवाया था। इसी को लेकर पूरा विवाद है। 1991 में पंडित सोमनाथ ने मुकदमा दायर करते हुए कहा था कि मस्जिद, विश्वनाथ मंदिर का ही हिस्सा है और यहां हिंदुओं को दर्शन, पूजापाठ के साथ ही मरम्मत का भी अधिकार होना चाहिए। उन्होंने दावा किया था कि विवादित परिसर में बाबा विश्वनाथ का शिवलिंग आज भी स्थापित है।