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अब ‘तारीख पर तारीख’ नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- सुनवाई को टालने के अनुरोध को न मानें अदालतें


  • बॉलीवुड फिल्म दामिनी के ‘तारीख पर तारीख’ वाले 28 साल पहले के डायलॉग की तर्ज पर ही गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश दिया. सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के बार-बार मामलों के स्थगन पर रोक लगा दी है. शीर्ष अदालत ने वकीलों के किसी भी सुनवाई टालने के अनुरोध को स्वीकार करने से जजों को मना कर दिया है. मध्य प्रदेश के मामले में चार साल की देरी और 10 बार सुनवाई टालने पर जस्टिस एमआर शाह और एएस बोपन्ना की पीठ ने नाराजगी जताई. पीठ ने कहा कि अब वक्त है वर्क कल्चर को बदलने का. कोर्ट ने कहा कि बार-बार के स्थगन से कानूनी प्रक्रिया धीमी होती है. ऐसे में न्याय वितरण प्रणाली में विश्वास बहाल करने की कोशिश की जानी चाहिए, जिससे कानून के शासन में विश्वास बना रहे.

न्यायमूर्ति शाह ने इस संबंध में फैसला देते हुए कहा कि कई बार बार बेईमान वादियों की बार-बार सुनवाई टलवाने की रणनीति से दूसरे पक्ष के न्याय में देरी होती है. बार-बार स्थगन से वादियों का विश्वास डगमगाने लगता है. न्याय प्रशासन में लोगों के विश्वास को मजबूत करने के उद्देश्य के लिए अदालतों को बार-बार कर्तव्यों का पालन करने के लिए कहा जाता है. कोर्ट ने कहा कि कोई भी प्रयास जो न्याय व्यवस्था में आम आदमी के विश्वास को कमजोर करता है, उसे रोका जाना चाहिए.