शिक्षण अनुभव घटाने के लिए शिक्षकों ने खटखटाया शिक्षा विभाग का दरवाजा
(आज शिक्षा प्रतिनिधि)
पटना। राज्य में माध्यमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा पास हजारों माध्यमिक शिक्षक उच्च माध्यमिक विद्यालयों में बिहार लोक सेवा आयोग से होने वाली प्रधानाध्यापकों की बहाली में छंट जायेंगे। ऐसे शिक्षक प्रधानाध्यापक पद के लिए आवेदन भी नहीं कर पायेंगे।
दरअसल, माध्यमिक विद्यालयों में प्रधानाध्यापकों की नियुक्ति के लिए संबंधित नियमावली में यह प्रावधान है कि वर्ष 2012 या उसके बाद नियुक्त शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण होना अनिवार्य होगा। इसके साथ ही यह भी शर्त है कि सरकारी स्कूलों के वैसे ही माध्यमिक शिक्षक आवेदन कर पायेंगे, जिनके पास कम से कम दस वर्षों का शिक्षण अनुभव होगा। राज्य में माध्यमिक शिक्षकों की नियुक्ति के लिए पहली बार शिक्षक पात्रता परीक्षा वर्ष 2012 में हुई। नतीजतन, उस शिक्षक पात्रता परीक्षा के आधार पर नियुक्त माध्यमिक शिक्षकों के पास अधिकतम आठ वर्षों का ही शिक्षण अनुभव पूरा हो पाया है। यही वजह है कि ऐसे शिक्षक आवेदन नहीं कर पायेंगे।
इसके मद्देनजर ऐसे शिक्षकों ने शिक्षा विभाग दरवाजा खटखटाया है। ऐसे शिक्षकों ने शिक्षा विभाग के अपर मुख्यसचिव को ज्ञापन देकर कहा है कि प्रधानाध्यापक पद के लिए सरकारी स्कूलों के उच्च माध्यमिक शिक्षकों के लिए जहां कम से कम आठ वर्ष का शिक्षण अनुभव रखा गया है, वहीं प्राथमिक विद्यालयों में प्रधान अध्यापक पद के लिए 1ली से 5वीं कक्षा के शिक्षक हेतु आठ वर्ष का शिक्षण अनुनभव एवं 6ठी से 8वीं कक्षा के स्नातक शिक्षक के लिए शिक्षण अनुभव के रूप में मात्र सेवा सम्पुष्टï होना ही अनिवार्य माना गया है।
ज्ञापन में कहा गया है कि ऐसी स्थिति में उच्च माध्यमिक विद्यालयों के प्रधानाध्यापक पद हेतु शिक्षक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण माध्यमिक शिक्षकों के लिए भी शिक्षण अनुभव के रूप में सेवा सम्पुष्ट होना ही अनिवार्य किया जाय या फिर आठ वर्ष का शिक्षण अनुभव रखा जाय। बहरहाल, ऐसा नहीं होने पर ऐसे शिक्षक कोर्ट जाने की तैयारी में हैं।