- नई दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का बड़ा ऐलान किया है। शुक्रवार को राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में देशवासियों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि सरकार नेक नीयत और समर्पण भाव से देश के किसानों के कल्याण के लिए यह कानून लेकर आई थी, लेकिन देश के कुछ किसान भाइयों को सरकार यह समझा नहीं पाई।
कहीं ना कहीं बढ़ते राजनीतिक विरोध और किसान आंदोलन की वजह से मोदी सरकार ने कृषि बिल वापस लेने का फैसला कर लिया। मैं समझता हूं कि मोदी सरकार ने यह फैसला राजनीतिक कारणों और दुखी मन से लिया होगा। मोदी जी ने ठीक ही कहा था कि हम यह कानून नेक नीयत से लाए थे। लेकिन हम किसानों को समझा नहीं पाए। संभवत: देश के विकास में यह एक झटका होगा। आने वाली सरकारें भी कृषि और मजदूरों के लिए बड़ा सुधारात्मक फैसला लेने से बचेंगी। अगर कोई क्रांतिकारी बदलाव का फैसला होगा तो उस पर राजनीतिक कारणों से विरोध होना संभव है और ऐसे में कहीं न कहीं विकास की गाड़ी को अड़ंगा लगता हुआ नजर आ रहा है।
यह किसान बिल बड़े स्तर पर किसानों को लाभ पहुंचाने वाले थे। देश की जीडीपी में सुधार होने की संभावनाएं थीं, उनके लिए भी एक झटका है। इन कानूनों के रद्द होने से इंश्योरेंस, फूड प्रोसेसिंग, असंगठित सेवा क्षेत्रों आदि इंडस्ट्रीज को भारी झटका लगा है। वहीं कृषि योग्य भूमि का समुचित इस्तेमाल ना होने से देश की अर्थव्यवस्था के आगे बढ़ने की संभावनाओं को कम जरूर किया है।