प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बजट सत्र में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर बहस के जवाब में आंदोलनकारी किसानों के मुद्दे पर भी अपनी बात रखी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा में अपने संबोधन में कहा – हमें तय करना होगा कि हम समस्या का हिस्सा बनेंगे या समाधान का माध्यम. राजनीति और राष्ट्रनीति में से हमें किसी एक को चुनना होगा.
पीएम मोदी ने कहा कि सदन में किसान आंदोलन की भरपूर चर्चा हुई. जो भी बताया गया वो आंदोलन को लेकर बताया गया लेकिन मूल बात पर कोई चर्चा नहीं की गई. किस बात को लेकर आंदोलन है, उस पर सब मौन रहे. आंदोलन कैसा है, क्या हो रहा , इस पर ज्यादा बातें की गईं लेकिन मूलभूत बात पर चर्चा होती तो अच्छा होता.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देवगौड़ा को आभार व्यक्त करते हुए धन्यवाद कहा और कहा कि उन्होंने इस मुद्दे को गंभीरता से उठाया है.
खेती की मूलभूत समस्या बताने के दौरान किया चौधरी चरण सिंह का ज़िक्र
पीएम मोदी ने सदन में चौधरी चरण सिंह के कथन का भी ज़िक्र किया. उन्होंने कहा कि चौधरी चरण सिंह अक्सर 1970-71 एग्रीकल्चर सेंसेस का ज़िक्र किया करते थे.
उन्होंने कहा,”किसानों का सेंसस लिया गया,तो 33 फ़ीसदी किसान ऐसे हैं जिनके पास दो बीघे से भी कम ज़मीन है, 18 फ़ीसदी ऐसे हैं जिनके पास दो से चार बीघे ज़मीन है. ये 51 फ़ीसदी किसान हैं. ये कितनी भी मेहनत कर लें, अपनी ज़मीन पर इनकी गुज़र नहीं हो सकती.”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मो दी ने अपने संबोधन में कहा कि मौजूदा वक़्त में जिनके पास एक हेक्टेयर से कम ज़मीन है, वो आज 68 फ़ीसदी हैं. 86 फ़ीसदी किसानों के पास 2 हेक्टेअर से भी कम ज़मीन है. ऐसे किसानों की संख्या 12 करोड़ है.
पीएम मोदी ने कहा कि क्या हमें अपनी योजनाओं के केंद्र में 12 करोड़ किसानों को रखना होगा या नहीं.
उन्होंने कहा कि किसानों के संदर्भ में हर किसी को सोचने की ज़रूरत है. उन्होंने कहा कि चुनाव आते ही कर्ज़ माफ़ी जैसी घोषणाएं की जाती हैं, जिसका लाभ छोटे किसानों को नहीं होता है. हमें छोटे किसानों के लिए सोचने की ज़रूरत है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि पहले जो फसल बीमा योजना थी उसका लाभ भी छोटे किसानों को नहीं मिल पाता था. ययूरिया हो या कोई भी दूसरी योजना उसका लाभ सिर्फ़ उन किसानों को मिल पाता था जिनके पास दो हेक्टेअर से अधिक ज़मीन होती थी.
पीएम मोदी ने कहा कि साल 2014 के बाद हमने कई बदलाव किये हैं और फसल बीमा के दायरे को बढ़ा दिया है. उन्होंने बताया कि फसल बीमा के तहत 90 हज़ार करोड़ रुपये दिये गए हैं. इसके साथ ही किसान क्रेडिट कार्ड भी आवंटित किया गया है.
पीएम मोदी ने सदन में अपने संबोधन में कहा कि किसान सम्मान निधि योजना के तहत 10 करोड़ किसानों को इसका लाभ मिला है. उन्होंने बंगाल का ज़िक्र किया और कहा कि अगर बंगाल में राजनीति आड़े नहीं आती तो वहां के किसानों को भी इसका लाभ मिल पाता.
पीएम ने सॉयल हेल्थ कार्ड को भी ज़िक्र किया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में शरद पवार जैसे कुछ अन्य कांग्रेसी नेताओं का भी ज़िक्र किया. उन्होंने कहा कि शरद पवार जैसे कुछ नेताओं ने कृषि सुधारो की बात की है. शरद पवार ने अभी भी सुधारों का विरोध नहीं किया है. उन्होंने कहा कि हमें जो ठीक लगा वो किया, आगे भी सुधार करते रहेंगे.
एमएसपी पर क्या बोले पीएम मोदी
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि एमएसपी पहले भी था. एमएसपी अब भी है. एमएसपी आगे भी रहेगा. उन्होंने कहा कि सस्ते मूल्यों पर ग़रीबों को राशन भी मिलता रहेगा और मंडियों का आधुनिकीकरण किया जाएगा.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा ने कहा, “हमें आगे बढ़ना होगा. गालियों को मेरे खाते में जाने दो लेकिन सुधारों को होने दो बुजुर्ग आंदोलन में बैठे हैं, उन्हें घर जाना चाहिए. आंदोलन खत्म करें और चर्चा आगे चलती रहे. किसानों के साथ लगातार बात की जा रही है.”
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि एमएसपी है, था और रहेगा. उन्होंने कहा कि मंडियों को मज़बूत किया जा रहा है.
सदन में पीएम ने कहा, “कुछ लोग हैं जो भारत को अस्थिर करना चाहते हैं, ऐसे में हमें सतर्क रहना चाहिए. पंजाब का बंटवारा हुआ, 1984 के दंगे हुए, कश्मीर और नॉर्थ ईस्ट में भी ऐसा ही हुआ. इससे देश को बहुत नुक़सान हुआ है. कुछ लोग सिख भाइयों के दिमाग में ग़लत चीजें भरने में लगे हैं. ये देश हर सिखों पर गर्व करता है.”
प्रधानमंत्री ने कहा, “कुछ बुद्धिजीवी होते हैं, लेकिन कुछ लोग आंदोलनजीवी हो गए हैं, देश में कुछ भी हो वो वहां पहुंच जाते हैं. कभी पर्दे के पीछे और कभी फ्रंट पर, ऐसे लोगों को पहचानकर हमें इनसे बचना होगा. ”
पीएम मोदी ने कहा कि एक नया एफ़डीआई मैदान में आया है- फ़ॉरेन डिस्ट्रक्टिव आइडियॉजी. उन्होंने कहा, “इस एफ़डीआई से हमें से देश को बचाने की जरूरत है.”
उन्होंने कहा कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ किसी सरकार नहीं बल्कि देश का आंदोलन है.