चंदौली। रविवार से पितृ पक्ष शुरु हुआ। प्रथम दिन से ही लोग अपने पूर्वजों के आत्मा की शांति के लिए पूजा पाठ शुरु कर दिया। मुगलसराय कार्यालय अनुसार। गया बिहार में पितृ पक्ष मेला के अवसर पर श्रद्घालुओं की सुविधा के लिए विशेष ट्रेने संचालन इस वर्ष भी किया जा रहा है। जिससे देश के विभिन्न क्षेत्र के लोग गया पहुंचकर अपने कर्म काण्ड पूरे कर सकें। चकिया प्रतिनिधि के अनुसार नगर सहित ग्रामीणों क्षेत्रों में पितृ पक्ष का बहुत अधिक महत्व होता है। पितृ पक्ष को श्राद्ध पक्ष के नाम से भी जाना जाता है। पितृ पक्ष में पितरों का श्राद्ध और तर्पण किया जाता है। इस पक्ष में विधि. विधान से पितर संबंधित कार्य करने से पितरों का आर्शावाद प्राप्त होता है। पितृ पक्ष की शुरुआत आश्विन मास में कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होती है। आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि तक पितृ पक्ष रहता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पितृ पक्ष के दौरान पितर संबंधित कार्य करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है पितृ पक्ष में पितर संबंधित कार्य करने से व्यक्ति का जीवन खुशियों से भर जाता है। इस पक्ष में श्राद्ध तर्पण करने से पितर प्रसन्न होते हैं और आर्शीवाद देते हैं। पितर दोष से मुक्ति के लिए इस पक्ष में श्राद्ध, तर्पण करना शुभ होता है। किसी सुयोग्य विद्वान ब्राह्मण के जरिए ही श्राद्ध कर्म, पिंडदान, तर्पण, करवाना चाहिए। श्राद्ध कर्म में पूरी श्रद्धा से ब्राह्मणों को तो दान दिया ही जाता है। साथ ही यदि किसी गरीब, जरूरतमंद की सहायता भी आप कर सकें तो बहुत पुण्य मिलता है। इसके साथ.साथ गाय, कुत्ते, कौवे आदि पशु.पक्षियों के लिए भी भोजन का एक अंश जरूर डालना चाहिए। यदि संभव हो तो गंगा नदी के किनारे पर श्राद्ध कर्म करवाना चाहिए। यदि यह संभव न हो तो घर पर भी इसे किया जा सकता है। जिस दिन श्राद्ध हो उस दिन ब्राह्मणों को भोज करवाना चाहिए। भोजन के बाद दान दक्षिणा देकर भी उन्हें संतुष्ट करें। श्राद्ध पूजा दोपहर के समय शुरू करनी चाहिए,् योग्य ब्राह्मण की सहायता से मंत्रोच्चारण करें और पूजा के पश्चात जल से तर्पण करें। इसके बाद जो भोग लगाया जा रहा है उसमें से गायए कुत्तेए कौवे आदि का हिस्सा अलग कर देना चाहिए। इन्हें भोजन डालते समय अपने पितरों का स्मरण करना चाहिएण् मन ही मन उनसे श्राद्ध ग्रहण करने का निवेदन करना चाहिए।