पड़ाव। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी प्राकृतिक उपचार में ही विश्वास रखते थे उनके निजी वैद्य स्वर्गीय राम नारायण दुबे हुआ करते थे जो वाराणसी जनपद के चौबेपुर मे स्थित प्राकृतिक आयोग आश्रम के सदस्य थे और लोगों का प्राकृतिक उपचार किया करते थे। उन्होंने प्राकृतिक उपचार पर किए गए इलाज पर कई किताबें लिखी जो स्वयं गांधी जी को पढऩे के लिए भेजा करते थे। महात्मा गांधी इस पर पत्र के माध्यम से अपनी प्रतिक्रिया भी देते थे। इस तरह सैकड़ों चि_ियां महात्मा गांधी और शिमला बेस्ट की राजकुमारी अमृता कौर ओपी नैयर की पत्नी सुशीला नैयर साहित्यकार जैनेंद्र कुमार द्वारा महात्मा गांधी के गुरु भगवान दीन की बीमारियों के विषय में चि_ी भेजकर अवगत कराया। इस तरह सैकड़ों चि_ियां रामनारायण दुबे के घर एतिहासिक स्वरुप में रखी हुई हैं। रामनारायण के पुत्र ओम प्रकाश दुबे वह भी प्राकृतिक उपचार में बड़ा ही विश्वास रखते थे यहां तक कि कक्षा 10 पास करके सरकारी विद्यालय में अध्यापक की नौकरी करते हुए भी महीनों स्नान तक नहीं करते थे सूर्य की रोशनी और वायु से ही स्नान कर लिया करते थे शरीर पर कहीं भी मैल नहीं जमता था। अब उन्हीं का पौत्र जो प्रभात कुमार दुबे वर्तमान समय चंदौली जनपद के मुगलसराय थाना अंतर्गत भोजपुर गांव मे किराएदारी कर किसी तरह अपनी पत्नी सीमा दुबे पुत्री आंचल दुबे श्रेया दुबे और पुत्र अंश दुबे के साथ जीविकापार्जन कर रहा है। जिनके पास महात्मा गांधी जी द्वारा लिखी गई 17 चि_ियों को राष्ट्रीय धरोहर के रूप में अपने पास संजोकर रखा हुआ है। इस संबंध में एसडीएम डीएम और कमिश्नर तक इन सभी चि_ियों का जिक्र किया और महात्मा गांधी जी से संबंधित संग्रहालय में रखने का आग्रह भी किया लेकिन अब तक प्रशासन के तरफ से कोई भी प्रतिक्रिया नहीं हुई। वही महात्मा गांधी जी के पुण्य तिथि से 1 दिन पूर्व प्रभात कुमार दुबे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से पत्रकार बंधुओं को बताया कि अब हमे मजबूरन उक्त चि_ियों को नीलामी के लिए मजबूर है। जहां एक तरफ प्रशासन से लेकर शासन तक सभी कार्यालयों में सत्यमेव जयते के साथ राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी का फोटो रहता है और वर्तमान सरकार भी धर्म से लेकर राष्ट्रीय धरोहरों को विदेशों से अपने देश में लाने का कार्य कर रही है वही इस तरह के धरोहरों की उपेक्षा करना जिले के अधिकारियों के समक्ष सवाल बनकर खड़ा है।