आईईडी विस्फोट में लगभग 40 किलो बारूद का उपयोग करने का अनुमान
दो दिन तक जंगल में रूकने के बाद वापसी लौट रहे थे डीआरजी के जवान
नारायणपुर/जगदलपुर। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित नारायणपुर जिले के थाना धौड़ाई अंर्तगत कन्हार गांव कड़ेनार मार्ग पर मंगलवार को नक्सलियों द्वारा लगाई गई आईईडी विस्फोट में जिस बस को उड़ाया गया उसमें 25 से ज्यादा डीआरजी के जवान सवार थे। जिसमें से आधे से अधिक जवान का सुरक्षित बचना और सिर्फ पांच जवान के शहीद होने से नक्सली जिस बड़ी वारदात को अंजाम देना चाहते थे उसमें वे सफल नहीं हो पाये, यह सुरक्षाबलों के लिए कुछ राहत देती है। यह पहला अवसर है जब आईईडी विस्फोट के बाद इतनी कम संख्या में जवान शहीद हुए है। नक्सलियों द्वारा इस आईईडी विस्फोट में लगभग 40 किलों के अमोनियम नाईट्रेड और डेटोनेटर का उपयोंग करने का अनुमान है।
पुलिस सूत्रों का कहना था कि डीआरजी के जवान एक ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए दो दिन तक जंगल में रूकने के बाद वापसी कर रहे थे। नक्सलियों को पहले से ही इसकी जानकारी थी कि डीआरजी जवान नक्सल अभियान के लिए गए हुए हैं और वापसी के दौरान थके हुए जवान किसी न किसी वाहन का सहारा लेंगे। ऐसे में नक्सली जवानों के लौटने का इंतजार कर रहे थे। जवानों को कैंप तक लाने के लिए बसों का उपयोग किया गया था। जिस बस को नक्सलियों ने आईईडी विस्फोट से उड़ाया वह सबसे सामने चल रही थी। जैसे ही पहली बस पुल के पास पहुंची तो नक्सलियों ने इसे उड़ा दिया। पीछे की बसों में आ रहे जवानों ने तत्काल मोर्चा संम्हालते हुए नक्सलियों को खदेड़ने में कामयाब रहे अन्यथा और भी जवान इसमें हताहत होते। मंगलवार अपराह्न नारायणपुर बेस कैंप की ओर लौट रहे थे। इसी दौरान नक्सलियों ने वारदात काे अंजाम दिया।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार नक्सलियों के माड़ डिवीजन के साथ मिलकर पीएलजीए की छह नंबर कंपनी हार्डकोर सदस्य इस आईईडी विस्फोट में शामिल रहे। इस हमले की पूरी कहानी करीब दो वर्ष पहले ही बुन ली गई थी। अभी जो गोपनीय रिपोर्ट सामने आई है उसके अनुसार माड़ की कमान दो वर्ष पहले अनिता मंडावी नामक नक्सली को दी गई थी। अनिता इस क्षेत्र में बड़े नक्सली हमले को अंजाम देने के लिए पहले से ही आईईडी जमीन में गाड़ कर रखा गया था।