जनजातीय समुदाय के धरोहरों को केन्द्र सरकार मिटाने में लगी : झामुमो
रांची। झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने कहा कि केन्द्र सरकार की ओर से 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मानने का फैसला किया है, जिसका हम स्वागत करते हैं लेकिन जनजातीय समुदाय के धरोहरों को केन्द्र सरकार मिटाने में लगी है। इसके उदहरण झारखंड में ही देखे जा सकते हैं। झामुमो महासचिव सुप्रियो ने शुक्रवार को प्रेसवार्ता में कहा कि आदिवासी, मूलवासी समुदाय की अपनी अलग पहचान है, उनकी जीवनशैली,साहित्य, संस्कृति, प्रकृति से जुड़ाव उनकी पहचान से जुड़ी है। सरना धर्मकोड को लेकर उनकी मांग काफी पुरानी है, जिसे अभी तक पूरा नहीं किया गया, जबकि सरना धर्मकोड को लेकर हेमंत सरकार ने विधानसभा से लेकर ट्राइबल एडवायजरी कमेटी में पास करा कर राज्यपाल के माध्यम से केन्द्र सरकार और राष्ट्रपति को भेजा है, जिस पर अभी तक कोई निर्णय नहीं किया गया। इसके बगैर केन्द्र सरकार के द्वारा जनजातीय गौरव की बात करना बेमानी है। उन्होंने कहा कि अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ पहला विद्रोह भी छोटानागपुर से ही शुरु हुआ था। वीर बुधु भगत के जन्म सिलगाई स्थित भूमि को भारत सरकार के जनजाति विभाग और कल्याण मंत्रालय के द्वारा अधिग्रहण किया गया है। आदिवासियों के उत्थान के नाम पर वीर बुधु भगत के जन्मस्थान को उजाड़ दिया जाता है। दूसरी ओर मंडल डैम के जद में वीर शहिद नीलांबर-पितांबर का गांव डूबने वाला है। इसी मंडल डैम का पुन: उद्घाटन के लिये प्रधानमंत्री मोदी 2019 में पलामू आये। आखिर केन्द्र की भाजपा नेतृत्व वाली सरकार किसका गौरव और किसके सम्मान की बात करती है। भाजपा नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार की आदिवासी प्रेम को समझना होगा।