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दलाई लामा बोले, अपने जीवन के शेष बचे दिन धर्मशाला में बिताना चाहूंगा,


धर्मशाला। Dalai Lama, बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा ने कहा वह अपने जीवन के शेष दिन धर्मशाला में ही बीताना चाहते हैं। धर्मशाला की आबोहवा व यहां की भौगोलिक परिस्थितियां उनके अनुकूल हैं। उनके स्वास्थ्य के लिए यह जगह बहुत अच्छी है। बर्फीले पहाड़ भी हैं और कुछ झीलें भी हैं, जंगल भी हैं, यह जगह उन्हें पसंद है। उन्होंने कहा कि जब वह पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मिले थे तो उनसे कहा था कि वह भारत को अपने बचे हुए जीवन के दिन व्यतीत करना चाहते हैं और जब मृत्यु हो तो यहीं हो। भारत में उनको पूर्ण रूप से स्वतंत्रता है। भारत में धार्मिक सदभावना है। यहां पर धर्मों के बीच में बहुत अच्छी सद्भावना है।

अपने सिद्धांतों की बात करें तो भारत उनके लिए बहुत अनुकूल जगह है। दलाई लामा ने कहा शांति व आंतरिक शांति के लिए जो सहयोग कर सकता हूं वह मैं करता रहूंगा। संस्कृति को भी आगे बढ़ाने का प्रयास करता रहूंगा। दलाई लामा आज अपने धर्मशाला स्थित आवास से आनलाइन माध्यम से जापान के फारन कोरेसपोंडेंटस क्लब आफ तिब्बत हाउस द्वारा आयोजित सह्रदय का सृजन विषय पर व्याखान दे रहे थे। इस दौरान उन्होंने कई सवालों के जवाब भी दिए।

कोरोना पर बोले दलाई लामा मन की शांति व आत्मविश्वास जरूरी

कोरोना महामारी को लेकर परमपावन दलाई लामा ने कहा कि कोरोना महामारी से निपटने के लिए टिप्स देने के लिए वह कोई एक्सपर्ट नहीं हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात है कि मन की शांति व सुख बना रहे। कोरोना के समय में जो हम परेशान है इस वक्त में भी मन की शांति बनी रहे यह महत्वपूर्ण हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात है कि सभी अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें। जब ज्यादा परेशान हों तो जरूरी है कि आत्मविश्वास रखें और मन की शांति रखें।

मैं मध्यम मार्ग को मानने वाला साधारण बौद्ध भिक्षु

चीन ताइवान के संबंध थोड़े जटिल हैं। मैं भारत में ही रहना चाहूंगा। वहां जाकर बहुत ज्यादा राजनीतिक जटिलताएं हैं। राजनीति की बात हो तो मैं मध्यम मार्ग को मानने वालों में से हूं। मैं अपने आप को साधारण बौद्ध भिक्षु मानता हूं।