- नेपाल का लोकतांत्रिक संविधान 20 सितंबर, 2015 को अपनाया गया था. भारत ने अभी तक इसका स्वागत नहीं किया और केवल यह कहा है कि उसने संविधान को दर्ज किया है.
नई दिल्ली: अपनी पार्टी को सौंपे गए एक दस्तावेज में नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूत बनकर आए एस. जयशंकर ने साल 2015 में संविधान को मंजूरी दिए जाने के खिलाफ चेतावनी दी थी.
द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, बीते 19 सितंबर को कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल-यूएमएल की स्थायी समिति की बैठक के दौरान इन राजनीतिक दस्तावेजों को पेश किया था.
यह बैठक सोमवार को संविधान को अपनाए जाने की वर्षगांठ के उपलक्ष्य में बुलाई गई थी.
ओली के दस्तावेजों में कहा गया है कि भारत के प्रधानमंत्री के विशेष दूत बनकर पहुंचे भारतीय राजनयिक ने संविधान को अपनाने के खिलाफ राजनीतिक दलों के नेताओं को धमकी दी थी और कहा था कि अगर इसे भारत की इच्छा के खिलाफ अपनाया गया तो इसे स्वीकार नहीं किया जाएगा.