बालू खनन क्षेत्र में माफियाओं का तंत्र ध्वस्त
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- बिहार राज्य खनिज विकास निगम से बालू कारोबार शुरू
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(आज समाचार सेवा)
पटना। सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले से बालू माफियाओं का तंत्र ध्वस्त हो गया जिसमें सरकार की खनन नीति को खारिज करने को लेकर अपील की गयी थी। कोर्ट ने सरकार के फैसले को सही ठहराते हुए बिहार राज्य खनिज विकास निगम के माध्यम से खनन, भंडारण और विपणन कराने का निर्देश दिया है। कोर्ट के फैसले के बाद बांका, नवादा, अरवल, किशनगंज, बेतिया व मोतिहारी आदि जिलों में संवेदकों के माध्यम से बालू खनन का कारोबार शुरू हो जायेगा। विभाग ने इन जिलों के लिए संवेदकों की नियुक्ति कर ली है। इसके साथ ही अब राज्य में बालू का कारोबार निगम के माध्यम से होना शुरू हो गया है।
खान एवं भूतत्व विभाग के प्रधान सचिव हरजोत कौर ने इसकी पुष्टिï करते हुए बताया कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने सरकार की खनन नीति पर मुहर लगा दी है। सरकार की यह बड़ी जीत है। कोर्ट के निर्देशें का अक्षरश: पालन किया जायेगा। बालू माफियाओं के द्वारा सरकार के निर्णय को निरस्त करने के लिए एनजीटी यानि राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण में यह कहते हुए अपील की गयी थी कि किसी भी जिला का जिला सर्वेक्षण रिपोर्ट नही है बावजूद बालू घाटों का बंदोवस्त किया गया है। न्यायाधिकरण ने सरकार की नयी बालू खनन नीति को निरस्त कर दिया था।
ब्राडसन की अपील खारिज, होगी कुर्की जब्ती
पटना। राज्य में बालू कारोबार से जुड़ बड़ एजेंसी ब्राडसन एंड कंपनी की अपील को भी सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है। ब्राडसन ने सरकार द्वारा दर्ज कराये गये सर्टिफिकेट केस के खिलाफ यह कहते हुए सुप्रीम कोर्ट में अपील की गयी थी कि उसके उपर देनदाी तय किया जाना गलत है इसलिए उसके खिलाफ शुरू की सर्टिफिकेट केस की कार्रवाई निरस्त किया जाये। सुप्रीम कोर्ट ने उसकी अपील को खारिज करते हुए बकाये राशि की वसूली के लिए कुर्की जब्ती की कार्रवाई करने को कहा है। विभाग के अधिकृत सूत्रों के अनुसार सरकार की नयी बालू खनन नीति का विरोध करते हुए पिछले वर्ष खनन पट्ïटा को वापस करते हुए बकाये रायल्टी की राशि जमा करने से इनकार कर दिया था। ब्राडसन एंड कंपनी पर राज्य सरकार का लगभग ३०० करोड़ रुपया बकाया है।
अब सभी जिला का डीएसआर सिया को उपलब्ध करा दिया गया है। जिसके चलते विभाग को लगभग एक हजार करोड़ से अधिक राशि के राजस्व की क्षति हुई। पिछले वर्ष पूर्व पट्ïटेदारों ने सरकार के निर्णय के विरुद्ध प्राप्त खनन पट्टा को वापस कर दिया गया था। उसके द्वारा निर्धारित शुल्क भी राज्य के खजाने में जमा नहीं कराया गया। कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि बालू के खनन व विपणन कार्य में पुराने बंदोवस्तधारियों अर्थात २०१५ से कार्यरत को नहीं रखा जायेगा।
सरकार ने एनजीटी के फैसले के खिलाफ हाइ कोर्ट गयी। हाई कोर्ट ने एनजीटी के फैसले को निरस्त करते हुए सरकार के निर्णय को सही ठहराया था। इसके खिलाफ बालू माफियाओं ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया है। कोर्ट के फैसले के बाद आम लोगों को बालू सस्ता और सुलभ तरीके से सुलभ हो जायेगा।