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पब्लिक डाटा का इस्तेमाल करने वाली संस्थाओं को देना पड़ सकता है 500 करोड़ का जुर्माना


पब्लिक डाटा का इस्तेमाल करने वाली सरकारी व गैर सरकारी सभी प्रकार की संस्थाओं को साइबर अटैक से बचने की तैयारी शुरू कर देनी चाहिए। अन्यथा अगले साल मार्च-अप्रैल के बाद साइबर अटैक से डाटा लीक होने पर उन्हें 500 करोड़ रुपये तक का जुर्माना देना पड़ सकता है।इलेक्ट्रॉनिक्स व आईटी मंत्रालय के मुताबिक, आगामी बजट सत्र में डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन (डीपीडीपी) बिल को संसद में पेश किया जाएगा और पारित होने पर डाटा प्रोटेक्शन का नया कानून आ जाएगा। इलेक्ट्रॉनिक्स व आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर के मुताबिक, प्रस्तावित नए कानून के तहत सरकारी व गैर सरकारी किसी भी संस्थान को आम जनता के डिजिटल डाटा को किसी को बेचने या उसे लीक करने का अधिकार नहीं होगा। जनता की मर्जी लेकर ही डाटा किसी और को इस्तेमाल के लिए दिया जा सकता है।केंद्रीय मंत्री ने कहा कि साइबर अटैक की वजह से भी डाटा लीक होता है तो उस संस्थान के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है। उन्होंने उदाहरण के तौर पर एम्स के साइबर अटैक का हवाला देते हुए कहा कि कानून बन जाने के बाद इस प्रकार का अटैक होता है और पब्लिक का डाटा लीक हो जाता है तो पब्लिक डाटा सुरक्षा बोर्ड में अपने डाटा लीक की शिकायत कर सकती है और बोर्ड उस संस्थान के खिलाफ कार्रवाई भी करेगा।उन्होंने कहा कि सुनवाई के दौरान वह संस्थान यह सफाई दे सकता है कि साइबर अटैक की वजह से डाटा लीक हुआ, लेकिन ऐसा नहीं होगा कि अटैक की वजह से डाटा लीक होने पर उस संस्थान के खिलाफ कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू नहीं होगी,चंद्रशेखर ने बताया कि अगर किसी व्यक्ति को शक होता है कि कोई संस्थान ने उसके निजी डाटा को उसकी सहमति के बगैर किसी और को दे दिया है तो वह व्यक्ति सिर्फ ई-मेल से बोर्ड को इस बात की शिकायत कर सकता है और बोर्ड भी उस ई-मेल पर संज्ञान लेगा। बोर्ड की सुनवाई वर्चुअल तरीके से होगी और बोर्ड के फैसले को सिर्फ हाई कोर्ट में चुनौती दी जा सकेगी।