द न्यूज रिपोर्ट के अनुसार, सबसे महंगी घड़ी लगभग 11 करोड़ मूल्य से अधिक की थी। तोशाखाना के उपहारों पर रखवाली खर्च 20 फीसद से बढ़ाकर 50 फीसद कर दिया गया। बेचे जाने वाले आकड़ों के मुताबिक, पूर्व प्रधानमंत्री ने तोशाखाना की उपहार वाली घड़ियों को अपनी जेब से खरीदने के बजाय उन्हें बेचा और प्रत्येक का 20 फीसदी सरकारी खजाने में जमा कर दिया।
ऐसे देखें तो ये उपहार तोशाखाना में कभी जमा ही नहीं किए गए थे। बताया जाता है कि किसी भी सरकार में मिलने वाले उपहार संबंधित कार्यालय के द्वारा मूल्य सहित रिपोर्ट किए जाते हैं। इसके बाद उपहार प्राप्तकर्ता राशि को जमा करता है यदि वह उसे रखना चाहता है। तोशाखाना दस्तावेजों के अनुसार पूर्व प्रधानमंत्री ने इन घड़ियों से 3 करोड़ 60 लाख हासिल किए थे, जो उन्हें खाड़ी देशों के गणमान्य लोगों से मिली थीं। एक घड़ी जो कार्यालय ने उसकी कीमत लगभग 10 करोड़ बताई थी, वह मध्य पूर्व देश के एक उच्च अधिकारी द्वारा उपहार में दी गई थी।