सम्पादकीय

बच्चोंमें संक्रमण


देशमें कोरोना संक्रमणके नये मामलोंमें निरन्तर गिरावटका क्रम बना हुआ है लेकिन अबतक इस महामारीसे मरनेवालोंका कुल आंकड़ा तीन लाखसे ऊपर होना अवश्य चिन्ताजनक है। मृत्युके मामलेमें भारत अमेरिका और ब्राजीलके बाद तीसरा देश बन गया है। अमेरिकामें छह लाख चार हजार ८२ लोगोंकी और ब्राजीलमें चार लाख ४९  हजार १८५ लोगोंकी मृत्यु हुई है, जबकि भारतमें अबतक तीन लाख ५१ हजार ६८१ लोगोंने अपनी जान गवायी है। चिन्ताकी बात यह भी है कि भारतमें पिछले एक माहके दौरान एक लाखसे अधिक  लोगोंकी मृत्यु हुई है। देशमें इस समय २७ लाखसे अधिक सक्रिय मामले हैं लेकिन ठीक होनेवालोंकी संख्या दो करोड़ ३७ लाख २० हजार ९१९ हो गयी है। एक बड़ी गम्भीर चिन्ताकी बात बच्चोंमें बढ़ते संक्रमणको लेकर सामने आयी है। तीन राज्यों राजस्थान, मध्यप्रदेश और उत्तराखण्डमें बच्चोंमें तेजीसे संक्रमण फैल रहा है। राजस्थानके दौसा और सीकर जिलोंमें २०५७ बच्चे संक्रमित हुए जबकि उत्तराखण्डमें २० दिनोंमें २०४४ बच्चे कोरोना संक्रमणकी चपेटमें आ गये। मध्यप्रदेशके सागर जिलेमें तीन सौसे अधिक बच्चे संक्रमित हुए हैं। इन तीनों राज्योंमें उत्तराखण्डकी स्थिति अधिक खराब है। बच्चोंमें बढ़ते कोरोना संक्रमणपर प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदीने गम्भीर चिन्ता जतायी है और आश्वस्त किया है कि देशके नौनिहालोंको कोरोना संक्रमणसे बचानेके लिए सभी आवश्यक दवाएं उपलब्ध हैं। बच्चोंकी चिकित्साके सम्बन्धमें अनेक राज्योंमें आवश्यक तैयारी भी कर ली गयी है। कोरोनासे बच्चोंको बचानेके लिए विशेष सावधानी बरतनेकी जरूरत है। इसमें सबसे बड़ी भूमिका बच्चोंके माता-पिता और अभिभावकोंकी है। बच्चोंको यदि सांस लेनेमें दिक्कत हो, बुखार, खांसी, पेटमें दर्द, दस्त, उल्टी या थकावटके लक्षण दिखें तो तत्काल सतर्क होने और बच्चोंको डाक्टरको दिखानेकी जरूरत है। प्रारम्भिक दौरमें ही सही उपचारसे बच्चोंको ठीक किया जा सकता है। ऐसे संक्रमित बच्चोंको अलग रखा जाय और उन्हें मास्क पहननेके लिए प्रेरित किया जाय। डाक्टरके परामर्शसे तत्काल दवा देना जरूरी है। इसमें किसी प्रकारकी शिथिलता अथवा लापरवाही प्राणघातक साबित हो सकती है। बच्चोंके लिए अभी टीका उपलब्ध नहीं है लेकिन यह शीघ्र ही उपलब्ध हो जायगा। इसके लिए सरकार पूरी तरहसे तत्पर और सक्रिय है। सभी परिवारोंमें बच्चोंके स्वास्थ्यपर सजग निगरानी करनेका दायित्व माता-पिताका है। इससे भयभीत होनेकी जरूरत नहीं है। सतर्कता और सावधानीसे बच्चोंको बचाया जा सकता है।

तूफानसे सतर्कता जरूरी

कोरोना वायरसकी दूसरी जानलेवा लहरसे जूझ रहे देशके समक्ष एकके बाद एक चक्रवाती तूफानोंका दौर भी बड़ी चुनौती है। मौसम विज्ञान विभागके अनुसार बंगालकी खाड़ीमें बना कम दबावका क्षेत्र अब दबाववाले क्षेत्रमें बदल गया है। इसे चक्रवाती तूफान ‘यासÓ में बदलनेकी सम्भावना व्यक्त की गयी है, जो २६ मईकी सुबहतक पश्चिम बंगाल और उत्तर ओडिसा तटोंको पार करेगा। अति भयावह हालातकी आशंकासे इन दोनों राज्योंमें हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है। साथ ही सुरक्षाकी दृष्टिïसे रेलवे मंत्रालयने भी २५ ट्रेनोंको रद कर दिया है। ताउतेके बाद अब बंगालकी खाड़ीमें १५५-१६५ किलोमीटरकी रफ्तारसे बढ़ रहे चक्रवाती याससे निबटनेके लिए युद्ध जैसी तैयारी नौसेना और वायुसेनाने की है। नौसेनाके चार जंगी जहाजों और हेलिकाप्टरोंके साथ वायुसेनाके ११ मालवाहक विमानों और चीता, चेतक एवं एमआई १७ जैसे २५ हेलिकाप्टरोंकी तैनाती की गयी है। इसके साथ ही एनडीआरएफकी ४६ टीमें पश्चिम बंगाल, ओडिसा समेत पांच प्रदेशोंमें नावों, पेड़ काटनेवालों, दूरसंचार उपकरणोंके साथ तैनाती याससे होनेवाली भारी जन-धनकी क्षतिकी आशंकाको व्यक्त करती है। तूफानकी विभीषिकाको देखते हुए मौसम विभागने उत्तर प्रदेशके २७ जिलोंमें चक्रवातकी चेतावनी दी है जिसमें मुरादाबाद, बिजनौर, अमरोहा, संभल, बदायूं, कासंगज, बहराइच, बाराबंकी, गोंड़ा, श्रावस्ती, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, बस्ती, अयोध्या, अमेठी, सुल्तानपुर, जौनपुर, अम्बेडकरनगर, आजमगढ़, मऊ, गाजीपुर, बलिया, देवरिया, संत कबीरनगर, महाराजगंज और कुशीनगर शामिल हैं। इन जनपदोंको अलर्ट करनेके साथ ही मौसमपर निगाह रखने और खुद सुरक्षित स्थानपर रहनेकी सलाह दी गयी है। तूफानकी चपेटमें आनेसे बचनेके लिए लोगोंको सतर्क रहना चाहिए, साथ ही इसपर विशेष रूपसे ध्यान  देनेकी जरूरत है जिससे कमसे कम क्षति हो।