- दो दिन पूर्व की तरह फिर खिंचाये फोटो और चिकित्सकों को फिर दिया निर्देश
- पिछली बार भी ऐसा ही कुछ किया था लेकिन उसके बाद वहां ना दिखे डॉक्टर और ना ही स्वास्थ्य कर्मी
- चिकित्सक एवं स्वास्थ्य कर्मियों की अनुपस्थिति के कारण शुक्रवार को गयी एक और रोगी की जान
बिहारशरीफ (आससे)। यह है नालंदा का स्वास्थ्य महकमा और ये हैं नालंदा के सिविल सर्जन, जो बीच-बीच में चिकित्सकों को दिशा-निर्देश देने का बयान देते है। शुक्रवार को सिविल सर्जन डॉ॰ सुनील कुमार जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी के साथ डिस्ट्रीक्ट कोविड हेल्थ सेंटर यानी बीड़ी श्रमिक अस्पताल बिहारशरीफ का जायजा लेने पहुंचे। जारी विज्ञप्ति में उन्होंने कहा है कि वहां स्वास्थ्य सुविधाओं को देखा, भर्ती लोगों की खैरियत जाना तथा सेंटर पर प्रतिनियुक्त चिकित्सा पदाधिकारी एवं पारा मेडिकल स्टाफ को आवश्यक निर्देश दिया।
ठीक दो दिन पहले भी नालंदा के सिविल सर्जन डिस्ट्रीक्ट कोविड हेल्थ सेंटर का मुआयना करने पहुंचे थे और उस दिन भी उन्होंने चिकित्सा पदाधिकारी तथा कर्मियों को आवश्यक निर्देश दिया था। लेकिन विडंबना यह रही कि अस्पताल से उनके लौटने के साथ ही वहां प्रतिनियुक्त चिकित्सक और चिकित्सा कर्मी ड्यूटी पर गये ही नहीं। तीन शिफ्टों में चिकित्सक और पारा मेडिकल स्टाफ की प्रतिनियुक्ति है, लेकिन किसी भी शिफ्ट में ना चिकित्सक नजर आते है और ना चिकित्सा कर्मी।
यह आरोप है कोविड केयर में भर्ती मरीज और उनके परिजनों का। लोगों का आरोप है कि आउटसोर्सिंग के तीन कर्मचारी जिन्हें यहां पर रोगियों को बेड तक लाने और ऑक्सीजन लगाने तक के लिए रखा गया है, उन्हीं के भरोसे इलाज होता है। शुक्रवार को भी इसकी बानगी देखने को मिली। सांस लेने में तकलीफ से गुजर रहा एक रोगी जब इस सेंटर पर पहुंचा तो वहां उसे भर्ती करने और देखने के लिए ना चिकित्सक थे और ना पारा मेडिकल स्टाफ और अंततः रोगी की जान चली गयी।
गुरुवार को हिंदी दैनिक ‘‘आज’’ ने जब इस सेंटर की कुव्यवस्था का मामला उजागर किया तो शायद सिविल सर्जन शुक्रवार को इसपर लगे दाग-धब्बे को मिटाने के लिए कोविड हेल्थ सेंटर पहुंचे और फिर वहां भर्ती रोगियों के साथ फोटो खिंचाकर आवश्यक निर्देश का बयान देकर निकल चले। अब तो आने वाला समय ही बतायेगा कि सिविल सर्जन का इस सेंटर का निरीक्षण और फिर वहां प्रतिनियुक्त चिकित्सक और कर्मियों को दिया गया निर्देश क्या गुल खिलाता है।