पटना

बिहारशरीफ: विश्व शांति स्तूप के वार्षिकोत्सव के मुख्य अतिथि होंगे राज्यपाल


कोविड को लेकर 51वां वार्षिकोत्सव मनी थी बिल्कुल सादगी से लेकिन 52वीं मनाने की चल रही है तैयारी 

बिहारशरीफ (नालंदा)। विश्व शांति स्तूप का 52वां वार्षिकोत्सव धूमधाम से मनाने की तैयारी चल रही है। महोत्सव के मुख्य अतिथि बिहार के राज्यपाल फग्गु चौहान होंगे। जबकि महाबोधि मंदिर के पुजारी भिक्षु चलिंदा तथा टूरिज्म विभाग के सेक्रेटरी संतोष कुमार मल्ल कार्यक्रम के अतिथि होंगे। हालांकि इस वर्ष वार्षिकोत्सव में विदेशी डेलिगेट की कमी खलेगी, लेकिन कोविड को लेकर कोविड गाइडलाइन का पालन किया जायेगा।

विश्व शांति स्तूप के प्रमुख पुजारी भिक्षु पी. ओकोनोगी ने बताया कि गत वर्ष वार्षिकोत्सव सिर्फ रस्म अदायगी भर था। यहां से जुड़े लोग हीं समारोह में हिस्सा लिये थे और 51वां वार्षिकोत्सव बिल्कुल सादगी के बीच संपन्न हुआ था। 52वां वार्षिकोत्सव में किसी भी देश के प्रतिनिधि हिस्सा नहीं लेंगे। वजह यह है कि कोविड को लेकर अंतरराष्ट्रीय उड़ाने नहीं के बराबर हो रही है। उन्होंने बताया कि निमंत्रण पत्र भी इस बार कम बांटा गया है ताकि कोविड प्रावधानों का पालन हो। इसके लिए भेजे गये निमंत्रण कार्ड पर भी निर्देश लिखा गया है। लोगों को मास्क लगाकर आना होगा। हाथ सेनिटाइज करना होगा और बैठने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना होगा।

बताते चले कि विश्व शांति स्तूप की 50वीं वर्षगांठ जो गोल्डेन जुबली के रूप में मना था में भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने हिस्सा लिये थे। विश्व शांति स्तूप की स्थापना फूजी गुरूजी ने की थी। जापान में परमाणु हमला के यादगार के रूप में राजगीर के रत्नागिरि पहाड़ी पर इस स्तूप का निर्माण किया गया था। इसके अलावे महाराष्ट्र के बलधा, बिहार के वैशाली, उत्तरप्रदेश के सारनाथ और दिल्ली के इंद्रप्रस्थ इलाका में इसी शैली का स्तूप बनाया गया है।

इस शांति स्तूप तक जाने के लिए लोगों को रोपवे से गुजरना होता है क्योंकि यह जमीन से चार सौ मीटर की उंचाई पर रत्नागिरी पहाड़ी के उच्चतम बिंदु पर बना है। पहले यहां चेयर रोपवे लगा था, लेकिन अब यहां जाने के लिए केबिन रोपवे भी बना है। 6 मार्च 1965 को विश्व शांति स्तूप राजगीर की आधारशिला तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने रखी थी, जबकि तत्कालीन राष्ट्रपति वीवी गिरी ने 25 अक्टूबर 1969 को विश्व शांति स्तूप का उद्घाटन किया था।

प्रत्येक वर्ष इसके वार्षिकोत्सव में समारोह आयोजित किया जाता है और दुनिया के दर्जन भर से अधिक देशों के प्रतिनिधि इस वार्षिकोत्सव में हिस्सा लेते है।