पटना

बिहारशरीफ सदर अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट लगाने की प्रक्रिया शुरू


      • एनएचएआई बिहारशरीफ सदर में एक हजार तथा हिलसा एवं राजगीर अनुमंडलीय अस्पताल में 400 एलपीएम का लगा रही ऑक्सीजन प्लांट
      • विद्युत ट्रांसफार्मर, वायरिंग और जेनरेटर की सुविधा मुहैया करानी होगी अस्पताल प्रबंधन को जिसके लिए डीएम ने राज्य से मांगी धनराशि
      • सदर अस्पताल में एनएचएआई ने फाउंडेशन और शेड निर्माण का काम किया पूरा
      • डीआरडीओ करेगी ऑक्सीजन प्लांट का इंस्टॉलेशन

बिहारशरीफ (आससे)। बिहारशरीफ सदर अस्पताल तथा राजगीर और हिलसा अनुमंडलीय अस्पताल में एनएचएआई के सौजन्य से ऑक्सीजन प्लांट लगने जा रहा है। इस आलोक में बिहारशरीफ सदर अस्पताल में काम भी शुरू हो चुका है। हालांकि कुछ बेसिक जरूरतों के पूरा होने तक प्लांट लगाने की कार्रवाई पर विराम लगा हुआ है, लेकिन नालंदा के जिला पदाधिकारी ने स्वास्थ्य विभाग को पत्र लिखकर बेसिक सुविधाएं मुहैया कराने को कहा है, जिसमें बिजली, जेनरेटर, एमसीबी जैसे मूलभूत जरूरत है। प्रावधान के तहत यह सारी व्यवस्था स्वास्थ्य विभाग को करनी है और इसके अलावे का खर्च एनएचएआई वहन करेगा।

एनएचएआई द्वारा जिले के तीन अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट लगाये जाने की पहल के बाद नालंदा के सांसद द्वारा अनुशंसित ऑक्सीजन प्लांट पर विराम लग गया है। वजह यह है कि सांसद द्वारा अनुशंसित राशि से काफी अधिक खर्च से अत्याधुनिक ऑक्सीजन प्लांट लगाया जा रहा है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार बिहारशरीफ सदर अस्पताल में 1000 एलपीएम (लीटर प्रति मिनट) क्षमता वाला ऑक्सीजन प्लांट लगाया जा रहा है, जिससे लगभग सदर अस्पताल की सभी बेडों पर ऑक्सीजन की आपूर्ति हो सकेगी। एनएचएआई इसपर आने वाला खर्च वहन कर रहा है। लगभग तीन करोड़ की लागत इसपर आनी है। प्रथम फेज में एनएचएआई ने प्लेटफार्म, शेड आदि का निर्माण कर चुकी है। अब प्रावधान के तहत 250 केवी का ट्रांसफार्मर, 250 केवी का जेनरेटर, एमसीबी, इलेक्ट्रिक पैनल, ऑटोमेटिक चेंजर जैसी बेसिक चीज स्वास्थ्य विभाग को मुहैया करानी है।

सूत्रों के अनुसार जेनरेटर छोड़कर 21 से 25 लाख रुपये का खर्च इस पर आ रहा है। जबकि जेनरेटर आउटसोर्सिंग के जरिये लेने पर विचार चल रहा है। स्वास्थ्य विभाग के पास उपरोक्त सुविधा के लिए धनराशि नहीं है। इस आलोक में सिविल सर्जन द्वारा राज्य मुख्यालय से धनराशि की मांग की गयी थी। इसपर पहल नहीं होने के बाद जिला पदाधिकारी ने विभाग के प्रधान सचिव को पत्र लिखकर उपरोक्त सुविधाओं के लिए धनराशि मुहैया कराने को कहा है। इस राशि के प्राप्त होते ही बिजली संबंधित काम पूरा होगा और तब ऑक्सीजन प्लांट का इंस्टॉलेशन शुरू हो सकेगा।

प्राप्त जानकारी के अनुसार ऑक्सीजन प्लांट की आपूर्ति और इंस्टॉलेशन डीआरडीओ के जिम्मे है और डीआरडीओ ने स्थानीय स्वास्थ्य प्रशासन से बिजली की सुविधा उपलब्ध कराने को कहा है ताकि प्लांट इंस्टॉलेशन का काम शुरू हो सके।

इसके अलावे राजगीर तथा हिलसा अनुमंडलीय अस्पताल में 400-400 एलपीएम का ऑक्सीजन प्लांट लगाया जाना है। यह भी एनएचएआई के सौजन्य से लगना है। हालांकि अभी इन दोनों अस्पतालों में एनएचएआई द्वारा शेड और फाउंडेशन का काम शुरू नहीं किया गया है। इन दोनों अनुमंडलीय अस्पताल में 400-400 एलपीएम का ऑक्सीजन प्लांट लग जाने के बाद इन अस्पतालों में भी हर बेड पर ऑक्सीजन की सुविधा होगी।

प्राप्त जानकारी के अनुसार एक रोगी को अधिकतम 60 एलपीएम ऑक्सीजन की आपूर्ति की जाती है, लेकिन यह अधिकतम मानक है। जरूरत के हिसाब से रोगियों को 5, 10 तथा अन्य मानक के अनुसार एलपीएम ऑक्सीजन की आपूर्ति की जाती है।

जिला प्रशासन तथा स्वास्थ्य विभाग यह चाह रही है कि संभावित कोविड-19 के तीसरी लहर के पूर्व सदर अस्पताल तथा दोनों अनुमंडलीय अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट लग जाय ताकि दूसरी लहर के वक्त जिले के कोविड संक्रमितों को जो परेशानी हुई वह नहीं उठाना पड़े। इसके साथ ही इन तीनों अस्पतालों में अन्य कारणों से भर्ती मरीजों को भी ऑक्सीजन देने में सिलिंडर पर निर्भरता खत्म हो जायेगी और आवश्यकतानुसार ऑक्सीजन की मात्र आपूर्ति की जा सकेगी।

बताते चले कि नालंदा के सांसद कौशलेंद्र कुमार ने बिहारशरीफ सदर अस्पताल में अपने सांसद विकास मद से ऑक्सीजन प्लांट लगाने की अनुशंसा की थी लेकिन वैधानिक प्रक्रिया के बीच बिहारशरीफ सदर अस्पताल तथा राजगीर अनुमंडलीय अस्पताल के लिए भारत सरकार के एनएचएआई ने ऑक्सीजन प्लांट लगाने की सहमति दे दी। तब सांसद ने अपने सांसद निधि से हिलसा अनुमंडलीय अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट लगाने की अनुशंसा की। लेकिन हाल के दिनों में एनएचएआई ने वहां भी ऑक्सीजन प्लांट लगाने की मंजूरी दे दी। इसके साथ ही अब सांसद मद की राशि ऑक्सीजन प्लांट पर खर्च नहीं हो सकेगी।