राशि की हेरा-फेरी का है मामला
बेगूसराय (आससे)। 600 विद्यालय प्रधान पर गिर सकती है गाज। राशि की हेरा-फेरी का है मामला। बताते चलें कि लॉकडाउन की अवधि में एमडीएम के खाते से राशि की निकासी की गई। उक्त मामले का खुलासा तब हुआ जब क्लोजर सर्टिफिकेट जमा की गई। वहीं इनमें से लगभग 200 विद्यालय ऐसे हैं जिन्होंने अभी तक क्लोजर सर्टिफिकेट भी जमा नहीं किए हैं।
जिले के सभी प्राथमिक एवं मध्य विद्यालय के प्रधानाध्यापक प्रभारी प्रधान से मध्यान भोजन योजना एवं सर्वशिक्षा अभियान के विकास मद का द्वितीय वर्ष 2021-22 का बैंक पासबुक के स्टेटमेंट की छाया प्रति एवं क्लोजर सर्टिफिकेट अधोहस्ताक्षरी कार्यालय में समर्पित करने का निर्देश दिया गया था, लेकिन 27 जनवरी 2022 तक उक्त आदेश का अनुपालन नहीं किए गए। जिससे स्पष्ट प्रतीत होता है कि गलत मंशा, मनमाने पन सहकारिता एवं उच्च अधिकारी के आदेश की अवहेलना को दर्शाता है।
इसी को लेकर तत्कालीन जिला शिक्षा पदाधिकारी रजनीकांत प्रवीण ने 3 वर्षों की मूल रोकड़ पंजी बैंक पासबुक का स्टेटमेंट की छाया प्रति एवं उपयोगिता प्रमाण पत्र की अधोहस्ताक्षरी कार्यालय में समर्पित करने के निर्देश दिए थे। जिसमें कई विद्यालय प्रधान के द्वारा जमा की गई दस्तावेज से प्रतीत होता है कि उनके द्वारा वित्तीय अनियमिताए की गई थी।
सबसे दिलचस्प पहलू यह है कि प्राथमिक विद्यालय प्रधान को खर्च करने के लिए 5 हजार एवं मध्य विद्यालय प्रधान को 10 हजार रुपये निकासी कर खर्च विद्यालय प्रधान को करनी है और दस दिनों के अंदर उन सभी खर्च का हिसाब रोकड़ पंजी में दर्शना है। लेकिन कई विद्यालय प्रधान ने इसकी अनदेखी की यही नहीं लॉकडाउन अवधि में राशि की निकासी तो कर ली गई जब क्लोजर सर्टिफिकेट जमा करने की बात आई तब जाकर उन्होंने राशि को विद्यालय के खाते में जमा की।वहीं कई विद्यालय प्रधान के ऐसे कारनामे हैं जो समझ से परे है। जहां एक ओर खर्च की गई राशि की उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा कर दी गई है तो वहीं विद्यालय विकास मद के खाते में अभी भी जमा कैसे हैं।
वहीं 15 डीडीओ पर भी कार्रवाई हो सकती है क्योंकि इन्हीं के देखरेख में जिओबी मद की राशि की देखरेख होती थी तो फिर इस तरह की चुक कैसे हुई? सभी प्राथमिक एवं मध्य विद्यालय के प्रधानाध्यापक प्रभारी, प्रधानाध्यापक से मध्यान्ह भोजन योजना एवं सर्व शिक्षा अभियान के विकास में वित्तीय वर्ष 2021 बैच का बैंक पासबुक के स्टेटमेंट की छाया प्रति एवं क्लोजर सर्टिफिकेट जो जमा किए गए। उसका अवलोकन के बाद संदेहास्पद प्रतीत हो रहा है कि वित्तीय मामले में हेरा फेरी की गई है।
सूत्रों की माने तो उन सभी विद्यालयों प्रधान की लिस्ट बनाई जा रही है जिनके ऊपर प्राथमिकी दर्ज भी हो सकती है साथ ही उसे विद्यालय प्रधान पर भी कार्रवाई की सूची तैयार की जा रही है जिन्होंने क्लोजर सर्टिफिकेट अभी तक जमा नहीं किए हैं। इस संदर्भ में जिला शिक्षा पदाधिकारी शर्मिला राय से बातचीत किया तो उन्होंने बताया कि जो भी दोषी होंगे उन पर कार्रवाई होगी फिलहाल मैंने फाइल का अध्ययन नहीं किया है।
जानकारों की माने तो कई विद्यालय प्रधान कार्रवाई के अधीन होंगे। क्योंकि जिस तरह से तत्कालीन जिला शिक्षा पदाधिकारी रजनीकांत परवीन ने कलम चला कर गए हैं उन्हें बच पाना मुश्किल होगा। फिलहाल उक्त मामला जांच के दायरे में है। जांच के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा कि कितने विद्यालय प्रधान पर प्राथमिकी दर्ज होंगी यह आने वाला समय ही बताएगा।