नई दिल्ली। हिंद प्रशांत क्षेत्र जिस तरह से अभी वैश्विक कूटनीति के केंद्र में आ चुका है उसे देखते हुए आइएनएस विक्रांत के भारतीय नौ सेना में शामिल होने की घटना को बड़े परिप्रेक्ष्य में देखा जा रहा है। भारत के इस पहले स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर को भारतीय नौ सेना में शामिल होने को भारत के रणनीतिक साझेदार देशों ने जिस तरह से हिंद प्रशांत क्षेत्र से जोड़ कर देखा है उसके संकेत साफ है। फ्रांस, ब्रिटेन, अमेरिका जैसे देशों ने ना सिर्फ विक्रांत के साथ सहयोग करने की बात कही है बल्कि यह भी कहा है कि आइएनएस विक्रांत हिंद प्रशांत क्षेत्र को शांतिपूर्ण, बराबरी वाला और सभी को समान अवसर के लायक बनाने में मदद करेगा।
माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में अमेरिका, जापान, आस्ट्रेलिया के साथ संयुक्त तौर पर होने वाले नौ सैन्य अभ्यास मालाबार में भी आइएनएस विक्रांत हिस्सा लेगा। कोच्चि शिपयार्ड में शुक्रवार को जिस भव्य समारोह में आइएनएस विक्रांत को भारतीय नौ सेना में शामिल किया गया है उसमें कई देशों के राजनयिकों ने हिस्सा लिया है।
ब्रिटेन भी भारत के साथ रखता है पुराना नौ सेना संबंध
इसमें शामिल हुए ब्रिटेन के उच्चायुक्त एलेक्स एलिस ने कहा कि ‘पीएम नरेन्द्र मोदी की तरफ से आइएनएस विक्रांत को समुंदर में उतारना समुद्र को सभी के लिए एक समान अवसर वाला क्षेत्र बनाने की प्रक्रिया का हिस्सा है। ब्रिटेन भी भारत के साथ पुराना नौ सेना संबंध रखता है और हम उम्मीद करते हैं कि ब्रिटेन को इस जहाज के साथ सहयोग करने भी मौका मिलेगा।’
फ्रांस के भारत में राजदूत एमानुएल लेनैन ने भारत को उन देशों में शामिल होने पर बधाई दी जो अपना एयरक्राफ्ट कैरियर बनाने की क्षमता रखते हैं और साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई कि हिंद प्रशांत क्षेत्र में विक्रांत और फ्रांस का एयरक्राफ्ट कैरियर चार्ल्स द गौल संयुक्त अभ्यास करेंगे।
हम भारत के साथ आगे भी करत रहेंगे काम: अमेरिका
नई दिल्ली में अमेरिकी दूतावास की तरफ से जारी ट्वीट में भारत को बधाई दी गई है कि वह दुनिया के उन पांच देशों में शामिल हो गया है जिनके पास अपना स्वनिर्मित एयरक्राफ्ट कैरियर है। हम भारत के साथ आगे भी काम करते रहेंगे ताकि हिंद प्रशांत क्षेत्र को मुक्त और सभी के लिए समान अवसर वाला बनाया जा सके।
आइएनएस विक्रांत के आने से हिंद प्रशांत क्षेत्र में शांति व स्थिरता बढ़ेगी
उल्लेखनीय तथ्य यह है कि कोच्चि समारोह में भारत के सबसे पुराने सैन्य सहयोगी देश रूस के राजदूत डेनिस एलिपोव भी मौजूद थे। उन्होंने इसे भारत व इसके नागरिकों के लिए महान ऐतिहासिक क्षण करार दिया। विक्रांत को बनाने में रूस की तरफ से मिली मदद पर उन्होंने कहा कि यह उनके देश के लिए गर्व की बात है। यह भी ध्यान देने योग्य बात है कि उक्त देशों के साथ ही भारतीय नौ सेना के चीफ वाइस एडमिरल एसएन घोरमाडे ने भी कहा है कि आइएनएस विक्रांत के आने से हिंद प्रशांत क्षेत्र में शांति व स्थिरता बढ़ेगी।
आइएनएस विशाल नाम से अपना तीसरा एयरक्राफ्ट कैरियर बनाएगा भारत
बताते चलें कि भारत और अमेरिका के बीच पहले से ही संयुक्त तौर पर एक एयरक्राफ्ट कैरियर बनाने को लेकर समझौता हो चुका है और इसके लिए दोनो देशों ने एक संयुक्त समूह का भी गठन किया हुआ है। भारत ने पहले ही ऐलान किया हुआ है कि आइएनएस विशाल नाम से वह अपना तीसरा एयरक्राफ्ट कैरियर बनाएगा। अमेरिका के अलावा ब्रिटेन भी इसके डिजाइन को तैयार करने में मदद करने की पेशकश कर चुका है। जबकि रूस भी चाहता है कि वह इसमें भारत की मदद करे।
वैसे इसको लेकर भारतीय नौ सेना ने अभी तक अंतिम फैसला नहीं किया हुआ है। जानकारों का कहना है कि चीन व पाकिस्तान की चुनौतियों को देखते हुए भारत के पास कम से कम तीन एयरक्राफ्ट कैरियर होने चाहिए लेकिन भारतीय नौ सेना इसकी लागत व उपयोगिता को लेकर अभी दुविधा में है। अभी आइएनएस विक्रांत के लिए युद्धक विमानों की खरीद पर भी फैसला नहीं हो पाया है।