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मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद पर मुस्लिम पक्ष को झटका, सुनवाई से रोक पर इलाहाबाद हाई कोर्ट का इनकार


प्रयागराज। मथुरा स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद में गुरुवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाया गया। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने स्वामित्व को लेकर दाखिल सिविल वादों को पोषणीय माना तथा मस्जिद पक्ष की अर्जियां खारिज कर दीं।

न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन की कोर्ट ने छह जून को सुरक्षित किया गया आदेश सुनाया। मंदिर पक्ष के अधिवक्ताओं ने इसे श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति की दिशा में महत्वपूर्ण बताया है। अब मामले में अगली सुनवाई 12 अगस्त से होगी।

मंदिर पक्ष के अधिवक्ता सौरभ तिवारी का कहना है कि श्री कृष्ण जन्मभूमि मामले में मंदिर पक्ष की बड़ी जीत हुई है। इलाहाबाद हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन की एकल पीठ ने शाही ईदगाह मस्जिद ट्रस्ट के सीपीसी के आदेश सात ,रूल -11 का आवेदन खारिज कर दिया है। मस्जिद पक्ष की तरफ से इस निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दिए जाने के संकेत दिए गए हैं।

मस्जिद पक्ष ने दी थी ये दलील

मस्जिद पक्ष की तरफ से प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट, मियाद कानून और वक्फ संपत्ति होने के आधार पर यह कहा गया था कि सिविल कोर्ट को वाद सुनने का अधिकार नहीं है । मंदिर पक्ष ने इन आपत्तियों को निराधार बताया था। भगवान श्रीकृष्ण विराजमान कटरा केशव देव सहित 18 सिविल वादों में 15 की सुनवाई न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन ने की थी। यह लगभग एक ही प्रकृति के थे।

कोर्ट ने 31मई 2024 को बहस पूरी होने के बाद आदेश सुरक्षित कर लिया था परंतु मस्जिद पक्ष से अधिवक्ता महमूद प्राचा ने सुनवाई के अधिकार की मांग की। इसे स्वीकार कर छह जून को भी मामला सुना गया। श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण ट्रस्ट मथुरा सहित 18 पक्षकारों ने वाद दायर किया था। जिला न्यायालय मथुरा से इन वादों को मंगाकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में चलाए जाने का आदेश 26 मई 2023 में हाईकोर्ट ने ही दिया था। इसके खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उक्त याचिका पर कोई स्टे नहीं दिया । इसके बाद उच्च न्यायालय इलाहाबाद में सुनवाई हुई 18 अक्टूबर 2023 को पहली सुनवाई की गई।

2023 को हाईकोर्ट ने दिए थे सर्वे के आदेश

14 दिसंबर 2023 को उच्च न्यायालय ने विवादित सम्पत्ति के सर्वे के आदेश दिए। इसके खिलाफ फिर मस्जिद पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका की। कहा कि आदेश 7 नियम 11 वाद की पोषणीयता को लेकर प्रार्थना पत्र हाई कोर्ट में विचाराधीन है। इसलिए न्यायलय को अंतरित आदेश देने का कोई भी कानून नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट की रूलिंग का हवाला देते हुए स्टे करने की मांग की। सुप्रीम कोर्ट ने सर्वे पर रोक लगाते हुए हाई कोर्ट इलाहाबाद की कार्यवाही को जारी रखने के आदेश दिया । इसके बाद न्यायालय में 7 नियम 11 की सुनवाई की गई। कुल 32 तारीखें पड़ीं। मंदिर पक्ष का कहना है कि ईदगाह के पक्ष में कोई भी दस्तावेज विरोधी के पास नहीं है।