- नई दिल्ली,। भारत में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान कोरोना संक्रमण से 700 से ज्यादा डॉक्टरों ने जान गंवाई है। कई जगहों पर इनके साथ बदसलूकी और मारपीट की घटना भी सामने आई। इसे लेकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने दुख जताया है। साथ ही महामारी में फ्रंटलाइन कोविड वर्कर्स की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक केंद्रीय सुरक्षा कानून लाने की मांग की है। आइएमए ने यह भी कहा कि वह हमले के खिलाफ 18 जून को स्वास्थ्यकर्मियों के विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व करेगा। आइएमए के अध्यक्ष डॉ जेए जयलाल ने यह बात कही है।
जयलाल ने कहा कि बिहार, पश्चिम बंगाल, असम, यूपी और कर्नाटक समेत कई जगहों पर कोरोना वार्ड में काम कर रहे डॉक्टरों के साथ मारपीट की गई और उनके साथ बदसलूकी हुई। महामारी अधिनियम के अंतर्गत महामारी में फ्रंटलाइन कोविड वर्कर्स की सुरक्षा सुनिश्चित करना सरकार की जिम्मेदारी है। हम सरकार से CrPC और IPC की प्रावधानों के तहत एक केंद्रीय सुरक्षा कानून लाने की मांग करते हैं और सभी सरकारी और निजी अस्पतालों में सेफ्टी स्ट्रक्चर होना अनिवार्य हो।
जयलाल ने यह भी कहा कि आइएमए 18 जून को ‘सेव द सेवियर’ के नारे के साथ हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स पर हमले के खिलाफ स्वास्थ्यकर्मियों के विरोध का नेतृत्व करेगा। इस दौरान कोई अस्पताल बंद नहीं होगा। डॉक्टर काला बिल्ला, काला मास्क, या काली शर्ट पहनकर काम करेंगे।
आइएमए ने शनिवार को कहा कि कोरोना महामारी की दूसरी लहर में कोरोना वायरस के कारण 719 डॉक्टरों ने अपनी जान गंवा दी है। बिहार में सबसे अधिक मौतें दर्ज की गई हैं। यहां 111, दिल्ली में 109, उत्तर प्रदेश में 79, पश्चिम बंगाल में 63 और राजस्थान में 43 लोगों की मौत हुई है। दक्षिणी राज्यों की बात करें तो आंध्र प्रदेश ने 35, जबकि 36 डॉक्टरों ने तेलंगाना में वायरस से दम तोड़ दिया। तमिलनाडु में 32 मौतें दर्ज की गईं, जबकि कर्नाटक और केरल में क्रमशः 9 और 24 मौतें दर्ज की गईं।