लखनऊ । कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में पार्टी की करारी हार के बाद उपजी परिस्थितियों और संगठन में किए जाने वाले बदलावों के बारे में सुझाव देने की जिम्मेदारी पूर्व केंद्रीय मंत्री भंवर जितेंद्र सिंह को सौंपी है। कांग्रेस की हार के बाद प्रदेश में पार्टी की स्थिति का आकलन और सांगठनिक बदलावों के बारे में पार्टी हाई कमान को सुझाव देने के लिए भंवर जितेंद्र सिंह की जिस रिपोर्ट का इंतजार है, वह कितना असर दिखाएगी, इसे लेकर खुद कांग्रेस पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं में संशय है।
उत्तर प्रदेश में पार्टी की रीति-नीति और टिकटों के वितरण को लेकर सबसे ज्यादा नाराजगी कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के निजी सचिव संदीप सिंह को लेकर है। यह चर्चा भी आम है कि कांग्रेस के सभी प्रभारी राष्ट्रीय सचिव भी संदीप के प्रभाव में हैं। सबसे ज्यादा शिकायत इस बात को लेकर है कि मौजूदा निजाम में पार्टी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं की सुनवाई नहीं हो पा रही है। इसके बावजूद खुले तौर पर संदीप के खिलाफ बोलने से कांग्रेसी नेता हिचकते हैं। जितेंद्र सिंह को पार्टी की हार के बारे में कितना सही फीडबैक मिलेगा, इसे लेकर पार्टी के अंदर लोग संदेह जता रहे हैं। फिलहाल उनके लखनऊ आगमन का इंतजार है।
पार्टी के कई नेता यह भी कहते हैं कि इससे पहले 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेता एके एंटनी की अध्यक्षता में समिति बनी थी, जिसने अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। बंगाल के विधानसभा चुनाव में हार के बाद अशोक चव्हाण की अध्यक्षता में बनी समिति ने भी अपनी रिपोर्ट सौंपी थी, लेकिन उन पर कोई अमल नहीं हुआ। ऐसे में जितेंद्र सिंह की ओर से प्रदेश में कांग्रेस की स्थितियों और सांगठनिक बदलाव के बारे में दी जाने वाली रिपोर्ट कितनी कारगर होगी, इस पर संशय जताया जा रहा है।