हांगकांग । चीन और रूस के बीच हाल ही में हुई जुगलबंदी पर अमेरिका की पूरी निगाह है। अमेरिका समेत पश्चिमी जगत इसके मायने तलाशने में लगा है। वहीं अमेरिका की परेशानी की वजह भी इन दोनों के बीच की नजदीकी बनी है। अमेरिका इसको अपने खिलाफ बनते एक नए गठजोड़ के रूप में देख रहा है, जहां रूस की निगाहें यूक्रेन पर हैं तो चीन की निगाह ताइवान पर लगी हुइ है। दोनों के लिए ही अपने मुद्दे बेहद खास हैं।
आपको बता दें कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच 5 फरवरी को बीजिंग में करीब दो वर्ष बात मिले थे। वहीं यदि दो वर्ष पहले की बात करें तो 5 जून 2019 में दोनों नेताओं ने चाइना-रशिया कांम्प्रहेंसिव पार्टनरशिप आफ काआर्डिनेशन के जरिए जो शुरुआत की उसे एक नए युग की भी शुरआत माना गया था। उस वक्त राष्ट्रपति शी चिनफिंग मास्को की यात्रा पर गए थे और इस बार पुतिन बीजिंग आए थे। शी के मास्को दौरे की एक खास बात ये भी थी कि वर्ष 2013 के बाद से ये उनका मास्को का आठवां दौरा था।
दोनों के बीच बनी नजदीकियों के बावजूद चीन ये नहीं चाहता है कि बीजिंग में जारी विंटर ओलंपिक गेम्स 2022 के दौरान रूस का यूक्रेन पर किसी भी सूरत से हमला हो। वो ये भी चाहता है कि घरेलू स्तर पर या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऐसा कुछ न हो जिससे ये ओलंपिक गेम्स धूमिल हो जाएं और सुर्खियों में न रहें। यही वजह है कि चीन ने फिलहाल ताइवान की तरफ उड़ान भरने वाले अपने लड़ाकू विमानों को भी रोक दिया है, जबकि पहले चीन ऐसा करीब हर दिन करता था। चीन के विमान ताइवान के एयर डिफेंस जोन में घुसते थे जिससे तनाव बढ़ता था। 23 जनवरी 2022 को इस तरह की हरकत चीन की तरफ से 39 बार की गई थी। भले ही फिलहाल इस तरह की चीजों को चीन ने रोक दिया है लेकिन ओलंपिक गेम्स खत्म होने के बाद ये दोबारा शुरू हो जाएंगी।