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ममता-सुवेंदु की मुलाकात पर भाजपा में उठने लगे सवाल, दिलीप घोष बोले- इसमें कुछ भी गलत नहीं


कोलकाता, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamta Banerjee)और भाजपा विधायक व बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी (Suvendu Adhikari) के बीच पिछले दिनों विधानसभा में हुई मुलाकात को लेकर अब भाजपा में सवाल उठने शुरू हो गए हैं।

परस्पर विरोधी दलों के शीर्ष नेताओं के बीच राजनीतिक शिष्टाचार से निचले स्तर के नेता-कार्यकर्ताओं में गलत संदेश जा रहा है, यह आशंका जताते हुए बंगाल भाजपा के पूर्व उपाध्यक्ष व वर्तमान में राज्य कमेटी के सदस्य राजकमल पाठक ने पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव संगठन बीएल संतोष को पत्र लिखा है। उन्होंने पत्र में किसी का नाम तो नहीं लिया है लेकिन उनका इशारा ममता-सुवेंदु की मुलाकात की तरफ बताया जा रहा है।

पाठक ने लिखा कि बंगाल में पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव के बाद फैली राजनीतिक हिंसा के शिकार भाजपा नेता व कार्यकर्ता इसे अच्छी नजर से नहीं ले रहे हैं। इससे उनका मनोबल गिर रहा है। पार्टी नेतृत्व को इस पर कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर करनी चाहिए।

गौरतलब है कि इस मुलाकात को लेकर जब बंगाल भाजपा के पूर्व अध्यक्ष व वर्तमान में पार्टी सांसद दिलीप घोष (Dileep Ghosh) से पूछा गया था तो उन्होंने कहा था कि दोनों के पुराने संबंध हैं इसलिए इस मुलाकात में कुछ भी गलत नहीं है।

दिब्येंदु अधिकारी ने किया अभिषेक बनर्जी को आमंत्रित

दूसरी तरफ सुवेंदु के भाई दिब्येंदु अधिकारी ने भी तृणमूल के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी (Abhishek Banerjee) को अपने घर चाय पर आमंत्रित किया है। गौरतलब है कि सुवेंदु के भाजपा में शामिल होने के बाद दिब्येंदु ने भी तृणमूल से दूरी बना ली थी, हालांकि आधिकारिक तौर पर वे अभी भी तृणमूल के ही सांसद हैं।

ममता से मुलाकात के बाद तेवर कड़े

बंगाल भाजपा का एक वर्ग अधिकारी बंधुओं के इस आचरण से खुश नहीं है। उसका मानना है कि इससे पार्टी को राजनीतिक तौर पर नुकसान होगा और उसकी तृणमूल की घोर विरोधी वाली छवि प्रभावित होगी। सियासी विश्लेषकों का कहना है कि संभवत: सुवेंदु ने भी इस बात को महसूस किया है इसलिए ममता से मुलाकात के बाद ही उन्होंने अपने तेवर कड़े कर लिए।

उन्होंने इस मुलाकात को लेकर कहा कि तृणमूल कांग्रेस ने राजनीतिक तौर पर हथियार डाल दिया है, जिस पर तृणमूल के राज्यसभा सदस्य शांतनु सेन ने कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा था कि राजनीतिक शिष्टाचार को उनकी पार्टी की कमजोरी नहीं समझा जाना चाहिए ।