नई दिल्ली, । तेवर के कारण अक्सर चर्चा में रहने वाले भाजपा के मुखर और युवाओं मे लोकप्रिय सांसद वरुण गांधी फिर से सुर्खियों में हैं। भाजपा सरकार को लेकर ही वह आक्रामक हैं। उत्तर प्रदेश में जब कुछ मंत्रियों और विधायकों ने पाला बदला तो वरुण की भावी रणनीति को लेकर भी आकलन लगाया जाने लगा। अटकलें तेज हो गई कि वह किस पाले में हैं। दैनिक जागरण के राष्ट्रीय ब्यूरो प्रमुख आशुतोष झा ने जब यह सवाल किया तो वह कहते हैं- मैं तो हमेशा से जनता के पाले में हूं। जो जनता के सवाल होंगे वह उठाता रहूंगा। अपने स्वार्थ के लिए मैं घुटने नहीं टेक सकता हूं। बातचीत के कुछ खास अंश-
पिछले कुछ महीनों से सरकार को लेकर आपका रुख आक्रामक हो गया है, ऐसा क्यों?
(कुछ सोचते हुए) आपने किस बात का क्या निष्कर्ष निकाला वह मैं नहीं जानता हूं, लेकिन मैं राजनीति में अपना निजी स्वार्थ साधने नहीं आया हूं। आप को मालूम ही होगा कि न तो मैं सांसद के रूप में मिली तनख्वाह लेता हूं, न सरकारी घर और अन्य सरकारी सुविधाएं। मेरी मां और मैं पूरी ईमानदारी से जन स्वाभिमान की रक्षा की राजनीति करते हैं, लोगों को अपना परिवार मान कर उनकी सेवा करते हैं। कोरोना महामारी के दौरान जब मेरे संसदीय क्षेत्र पीलीभीत में आक्सीजन सिलिंडर का अभाव हो गया, सरकारी अस्पतालों में जरूरी दवाइयां नहीं मिल रही थीं, तो मैंने अपनी बेटी की एफडी तोड़कर उन पैसों से पीलीभीत में आक्सीजन सिलिंडर और दवाएं पहुंचाई। एक स्वस्थ लोकतंत्र में सवाल पूछे ही जाने चाहिए, मुझे लगता है मेरी सलाह पर विचार करने से पार्टी, सरकार और आम जनता सबका भला होगा। बहुत सारे लोग सत्ता की ताकत के आगे अपने निजी स्वार्थ की वजह से उसके समक्ष घुटने टेक देते हैं, मेरे लिए यह अपनी अंतरात्मा को धोखा देने जैसा है।