नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दावा किया है कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी अकेले 370 से ज्यादा सीटें हासिल करने में कामयाब रहेगी। इसके अलावा उन्होंने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर भी बयान दिया। साथ ही उन्होंने विरोधी दलों को आड़े हाथ भी लिया।
एक निजी टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में उनसे काशी-मथुरा को लेकर भी बात की गई। उनसे पूछा गया कि पार्टी का नारा था कि मंदिर वहीं बनाएंगे, मंदिर आप लोगों ने बनवाया भी। अब नया नारा है अभी ये तो झांकी है, काशी-मथुरा बाकी है.. क्या अगले पांच सालों में ये देखने को मिलेगा?
करोड़ो राम भक्त देख रहे थे भव्य मंदिर का सपना
इसके जवाब में अमित शाह ने कहा कि सारे मामले कोर्ट में हैं, मेरा कुछ कहना उचित नहीं होगा। मैं कहना चाहूंगा कि हमारी पालमपुर कार्यकारिणी में ये वादा किया गया था कि हम संवैधानिक रूप से राम का भव्य मंदिर अयोध्या में बनाएंगे। 500 साल से करोड़ों राम भक्त इसकी राह देख रहे थे। वो काम मोदी जी ने पांच साल में कर दिया। कोर्ट का फैसला भी आ गया और भूमिपूजन भी हो गया। मैं मानता हूं कि इस क्षण को 10 हजार साल तक दुनिया इसे भुला नहीं पाएगी।
राम मंदिर बनना बड़े लोकतंत्र का उदाहरण है। हिंदुओं का बहुमत होने के बावजूद 75 साल तक राम मंदिर की राह देखी। हमने कोर्ट का इंतजार किया और उसके बाद संवैधानिक तरीके से राम मंदिर का निर्माण कार्य हुआ। दुनिया में ऐसे उदाहरण देखने को नहीं मिलते हैं।
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि भारत में हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई या बौद्ध सभी को एक कानून के साथ जीना चाहिए. धार्मिक स्वतंत्रता में कोई दखल नहीं होना चाहिए. परंतु कानून एक होना चाहिए. केंद्रीय गृह मंत्री ने नेटवर्क 18 के कार्यक्रम ‘राइजिंग भारत’ में यह बात कही. क्या मुसलमानों को शरिया और हदीद के हिसाब से रहने का हक़ नहीं है, के सवाल पर गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि यह भी एक प्रकार की भ्रांति है. शरिया और हदीस के हिसाब से 1937 से नहीं रह रहा है इस देश का मुसलमान. अमित शाह ने सवाल किया कि अंग्रेजों ने जब मुस्लिम पर्सनल लॉ बनाया, तो उसमें से क्रिमिनल एलिमेंट क्यों निकाल दिया?
…क्यों याद आता है शरिया और हदीस: अमित शाह
शाह से जब पूछा गया कि क्या मुसलमानों को शरिया और हदीस के तरीके से रहने का हक नहीं है? इसके जवाब में बीजेपी नेता ने कहा, ‘ये एक तरह की भ्रांति है। देश का मुस्लिम शरिया और हदीस के हिसाब से 1937 से नहीं रह रहा है। अंग्रेजो ने जब मुस्लिम पर्सनल लॉ बनाया। उसमें से क्रिमिनल एलिमेंट क्यों निकाल दिया।
ऐसे होता तो चोरी करने वालों के हाथ काट दो। दुष्कर्म करने वालों को बीच सड़क पर पत्थर मारकर मार देना चाहिए। कोई मुसलमान सेविंग अकाउंट नहीं खोल सकता, ब्याज नहीं ले सकता है, लोन नहीं ले सकता है। शरिया और हदीस से जीना है तो पूरी तरह से जीना चाहिए। सिर्फ चार शादी के करने के लिए शरिया और हदीस क्यों याद आता है।