नई दिल्ली, । केंद्रीय कानून एवं न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने एक बार फिर कहा कि सरकार और न्यायपालिका को साथ आना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार और न्यायपालिका के संयुक्त प्रयास से देश में लंबित मामलों की संख्या को कम करने में मदद मिलेगी।
न्याय में देरी, न्याय से इनकार करना: रिजिजू
रिजिजू ने आगे कहा, “आज कुल लंबित मामलों की संख्या 4.90 करोड़ है। न्याय में देरी का मतलब न्याय से इनकार करना है। लंबित केसों को कम करने का एकमात्र तरीका सरकार और न्यायपालिका का एक साथ आना है। तकनीक इसमें अहम भूमिका निभाती है।”
जजों को कामकाज के आकलन का सामना नहीं करना पड़ता
इससे पहले, रिजिजू ने सोमवार को कहा कि जज निर्वाचित नहीं होते, इसलिए उन्हें लोगों द्वारा उनके कामकाज के आकलन का सामना नहीं करना पड़ता और लोग उन्हें बदल भी नहीं सकते। साथ ही उन्होंने कहा कि कुछ लोग सरकार और न्यायपालिका के बीच मतभेदों को ‘महाभारत’ के रूप में दर्शाते हैं, लेकिन यह बिल्कुल भी सच नहीं है। हमारे बीच कोई समस्या नहीं है। चर्चा और बहस लोकतांत्रिक संस्कृति का हिस्सा हैं।
जजों को चुनाव नहीं लड़ने पड़ते
रिजिजू ने सोमवार को तीस हजारी अदालत परिसर में आयोजित गणतंत्र दिवस कार्यक्रम में हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने कहा कि इंटरनेट मीडिया की वजह से सामान्य नागरिक भी सरकार से सवाल कर सकता है और उन्हें ऐसा करना भी चाहिए। सरकार पर हमले किए जाते हैं और सवाल किए जाते हैं और सरकार उनका सामना करती है।
उन्होंने कहा कि अगर लोग फिर चुनते हैं तो हम सत्ता में लौटेंगे। अगर वे नहीं चुनेंगे तो हम विपक्ष में बैठेंगे और सरकार से सवाल करेंगे। दूसरी तरफ जब कोई व्यक्ति जज बनता है तो उसे चुनावों का सामना नहीं करना पड़ता। जजों को लोगों की जांच का सामना नहीं करना पड़ता।