- सुप्रीम कोर्ट ने यौन उत्पीड़न के आरोपों का सामना कर रहे पत्रकार वरुण हिरेमठ को मिली अग्रिम जमानत में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया. पुणे की एक 22 साल की मॉडल ने वरुण के खिलाफ रेप का आरोप लगाया था. 12 मार्च को निचली अदालत द्वारा अग्रिम जमानत याचिका खारिज होने के बाद वरुण हिरेमठ ने दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया था.
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस नवीन सिन्हा और जस्टिस अजय रस्तोगी की वेकेशन बेंच ने दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज करते हुए कहा कि इसमें हस्तक्षेप करने का कोई कारण नजर नहीं आता है. 13 मई को दिल्ली हाई कोर्ट ने पत्रकार को अग्रिम जमानत दे दी थी. इससे पहले कोर्ट ने उन्हें गिरफ्तारी से अंतरिम राहत देते हुए कहा था कि उन्हें पुलिस द्वारा बुलाए जाने पर जांच में शामिल होना होगा.
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि 20 फरवरी को दिल्ली के चाणक्यपुरी स्थित एक फाइव स्टार होटल में वरुण ने उनके साथ जबरदस्ती की. इसके बाद वरुण हिरेमठ के खिलाफ चाणक्यपुरी पुलिस स्टेशन में भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा-376 (रेप के लिए सजा), धारा-342 (गलत तरीके से किसी को बंधक बनाकर रखने की सजा) और धारा-509 (महिला की गरिमा को अपमानित करने के लिए कहे गए शब्द या व्यवहार) केस दर्ज हुआ था.
वरुण हिरेमठ ने महिला द्वारा लगाए गए आरोपों से इनकार किया था और इसे झूठा बताते हुए कहा था कि एफआईआर तीन दिन बाद 23 फरवरी को दर्ज करवाई गई. दिल्ली हाई कोर्ट में वरुण का पक्ष सीनियर वकील कपिल सिब्बल और वकील विजय अग्रवाल ने रखा था. वकील ने कहा था कि शिकायतकर्ता और आरोपी के बीच पहले भी शारीरिक संबंध थे.
इससे पहले ट्रायल कोर्ट ने वरुण की अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा था कि पहले संबंध रह चुके हैं, फिर भी सहमति मानी नहीं जा सकती है. शिकायतकर्ता ने हाई कोर्ट से इस मामले की जांच सीबीआई से कराने का निर्देश देने का अनुरोध करते हुए यह भी कहा था कि दिल्ली पुलिस की जांच में कई खामियां हैं.