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अग्निपथ योजना पर बवाल के बीच सरकारी हल्‍कों में चर्चा, सेना की रेजिमेंटल प्रणाली में नहीं किया जा रहा बदलाव


नई दिल्‍ली, । ‘अग्निपथ’ योजना (Agnipath scheme) के तहत सेना की रेजिमेंटल प्रणाली में कोई बदलाव नहीं किया जा रहा है। देश के कई हिस्सों में इस नए माडल के खिलाफ व्यापक विरोध प्रदर्शन के बीच सरकारी सूत्रों ने गुरुवार को बताया कि ‘अग्निपथ’ योजना के लागू होने के पहले वर्ष में भर्ती होने वाले कर्मियों की संख्या भी केवल तीन प्रतिशत होगी।

आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि ‘अग्निपथ’ योजना (Agnipath scheme) का उद्देश्य युवाओं के लिए सशस्त्र बलों में सेवा करने के अवसरों को बढ़ाना है। इसके (Agnipath scheme) तहत कर्मियों की भर्ती सशस्त्र बलों में मौजूदा नामांकन का लगभग तिगुना होगा। यह जानकारी ऐसे वक्‍त में सामने आई है जब एक दिन पहले ही सरकार ने दशकों पुरानी चयन प्रक्रिया में बड़े बदलाव का एलान किया है।

सरकार ने ‘अग्निपथ’ योजना (Agnipath scheme) के तहत सेना, नौसेना और वायु सेना में चार साल के अल्पकालिक अनुबंध के आधार पर सैनिकों की भर्ती के लिए योजना की घोषणा की है। इस योजना के तहत साढ़े 17 से 21 साल के युवाओं की भर्ती तीनों सेनाओं में की जाएगी। सरकार का कहना है कि सेना में चार साल की सेवा के बाद 25 फीसद अग्निवीरों को नियमित सेवा में शामिल किया जाएगा।

योजना के तहत शामिल किए जाने वाले कर्मियों को ‘अग्निवर’ कहा जाएगा। अब इस नई योजना के खिलाफ कई राज्यों में व्‍यापक विरोध देखा जा रहा है। कई विपक्षी राजनीतिक दलों और सैन्य विशेषज्ञों ने भी इस योजना की आलोचना की है। सैन्य विशेषज्ञों का कहना है कि इससे सशस्त्र बलों के कामकाज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। ऐसी आशंकाएं हैं कि ‘अग्निपथ’ योजना रेजिमेंटों की संरचना को बदल देगी जो विशिष्ट क्षेत्रों के साथ राजपूत, जाट और सिख युवाओं की भर्ती करती हैं।