लखनऊ । उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं में बीते पांच वर्षों में काफी बढ़ोतरी हुई है। गोरखपुर और रायबरेली में एम्स खोले गए। राजधानी लखनऊ में अटल बिहारी वाजपेई चिकित्सा विश्वविद्यालय व गोरखपुर में आयुष विश्वविद्यालय खोले गए। वहीं मेडिकल कालेजों की संख्या में करीब तीन गुणा बढ़ोतरी की गई। पूर्वांचल में दिमागी बुखार से होने वाली बच्चों की मौत पर काबू पाया गया। कोरोना जैसी महामारी से मुकाबले में प्रदेश ने नजीर पेश की। देश ही नहीं इसका विदेश में डंका बजा और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएसओ) ने भी इसकी पीठ-थपथपाई। कभी बीमार रहा यूपी अब स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में सेहतमंद हो गया है और इसके पास अब हर मर्ज की दवा है।
उत्तर प्रदेश में वर्ष 2017 तक केवल 16 मेडिकल कालेज ही थे। योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बनी भाजपा सरकार ने हर जिले में मेडिकल कालेज खोलने का संकल्प लिया और इसे पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। अब तक 45 सरकारी मेडिकल कालेज बनकर तैयार हो चुके हैं और इसमें से नौ मेडिकल कालेजों में इस शैक्षिक सत्र 2021-22 से पढ़ाई शुरू की जा रही है। इसमें एटा, हरदोई, प्रतापगढ़, फतेहपुर, सिद्धार्थ नगर, देवरिया, गाजीपुर, जौनपुर व मीरजापुर शामिल हैं। 14 जिलों में मेडिकल कालेजों का निर्माण कार्य चल रहा है और इसमें अगले साल पढ़ाई शुरू हो जाएगी। इस तरह 59 जिलों में मेडिकल कालेज बनाए गए। बाकी 16 जिलों में थ्री पी माडल पर मेडिकल कालेज खोलने के लिए प्रस्ताव मांगे गए हैं।