नई दिल्ली । रूस और यूक्रेन के बीच उभरे तनाव के बाद विश्व में नए समीकरण बनने भी शुरू हो गए हैं। एक ओर जहां अमेरिका अपने सहयोगियों की संख्या बढ़ाने में लगा है तो वहीं दूसरी तरफ रूस भी इसके नए विकल्प खोज रहा है। यही वजह है कि अमेरिका के खिलाफ ऐसे देशों का एक नया गठजोड़ तैयार हो रहा है जो अमेरिकी विरोधी हैं। रूस और चीन से अमेरिका का अलगाव काफी पुराना है और दोनों से ही हाल के कुछ वर्षों में ये तनाव काफी बढ़ गया है।
इस गठजोड़ को मजबूत करने की दिशा में रूस और चीन कदम और आगे बढ़ा दिया है। इसके तहत बीजिंग ओलंपिक गेम्स समारोह का हिस्सा बनने गए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच एक बड़ी डील हुई है। ये डील गैस और तेल सप्लाई को लेकर है। आपको बता दें कि समूचे यूरोप को अधिकतर गैस और तेल की सप्लाई रूस से होती है। लेकिन हाल के दिनों में उभरे तनाव और अमेरिका के इसमें कूदने से हालाता लगातार बदल रहे हैं। इसकेा देखते हुए रूस अपने व्यापारिक साझेदारों के रूप में नए विकल्प तलाश रहा है।
जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर अनुराधा शिनोए का कहना है कि इस तनाव से अमेरिकी विरोधी देश एकजुट हो रहे हैं। उनके मुताबिक यूरोप रूस के बिना आगे बढ़ नहीं सकता है। यूरोप के विकास में रूस का बड़ा सहयोग है। उनका ये भी कहना है कि यदि ये तनाव अधिक समय तक चला तो इसका असर भी लंबे समय के लिए दिखाई देगा। उनका ये भी मानना है कि रूस किसी भी सूरत से कम और कमजोर नहीं है।