Latest News अन्तर्राष्ट्रीय

अमेरिका में नौकरी का सपना देखने वालों के लिए अच्छी खबर


वाशिंगटन, अमेरिका में जाकर नौकरी करने का सपना देखने वालों के लिए एक अच्छी खबर है। इस साल भारतीयों को 10 लाख वीजा जारी किया जा सकता है। ऐसी खबर है कि कार्य वीजा को भी प्राथिमकता दी जा रही है।

दक्षिण और मध्य एशिया के अमेरिकी सहायक विदेश मंत्री डोनाल्ड लू ने हाल ही में पीटीआई एजेंसी को एक इंटरव्यू दिया है। इसमें उन्होंने कहा कि वे कार्य वीजा को भी प्राथमिकता दे रहे हैं। इनमें एच-1बी और एल वीजा, जो भारत के आईटी पेशेवरों द्वारा सबसे अधिक मांग वाले वीजा में शामिल हैं।

एच-1बी वीजा की सबसे ज्यादा मांग

अमेरिका की तरफ से प्रत्येक साल 85 हजार एच-1बी वीजा जारी किए जाते हैं। इनमें से करीब 20 हजार वीजा ऐसे हैं जो अमेरिका की यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के लिए जाने वाले स्टूडेंट्स को दिए जाते हैं। वहीं भारतीय पेशेवरों में एच-1बी वीजा की सबसे ज्यादा मांग होती है।

ऐसे में एच-1बी वीजा की संख्या बढ़ती है तो भारतीयों को इसका फायदा मिल सकेगा। H-1B वीजा एक गैर-अप्रवासी वीजा है जो अमेरिकी कंपनियों को विदेशी कर्मचारी रखने के लिए को अलग व्यवसायों में नियोजित करने की अनुमति देता है, खासकर जो टेक्निकल एक्सपर्ट हों।

वीजा के लिए श्रमिकों को मिलेगी प्राथमिकता- लू

डोनाल्ड लू ने बताया कि टेक्नोलॉजी संबंधित कंपनियां भारत और चीन जैसे देशों से हर साल कर्मचारियों को नियुक्त करने के लिए इस पर निर्भर रहती हैं। उन्होंने कहा, “हम इस साल दस लाख से अधिक वीजा जारी करने वाले हैं। इतने वीजा जारी करना हमारे लिए भी एक रिकॉर्ड ही है।” साथ ही उन्होंने बताया कि संयुक्त राज्य अमेरिका में आने वाले अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के मामले में भारत अब दुनिया में दूसरे नंबर पर है।

भारत में हमारे कुछ कांउस्लर सेक्शन में इंतजार करने का समय इन वीजा के लिए अब 60 दिनों से कम होगा। हमारा इस बात पर भी ध्यान रहेगा कि श्रमिकों के लिए वीजा को प्राथमिकता दी जाए, क्योंकि यह अमेरिकी और भारतीय अर्थव्यवस्था दोनों के लिए जरूरी है।

डोनाल्ड लू ने ये भी कहा कि आईटी प्रोफेशनल्स जो एच-1बी वीजा पर हैं और अपनी नौकरी खो चुके हैं। इन्हें लेकर होमलैंड सिक्योरिटी विभाग की तरफ से नई जानकारी दी गई है। इसे लेकर भी ध्यान दिया जा रहा है। साथ ही अब हम जानते हैं कि 1 लाख से अधिक अमेरिकी भारत में भी रह रहे हैं। यह रिश्ता बहुत मजबूत है और इससे दोनों ही देशों को भी फायदा पहुंचता है।