गुजरात विधानसभा चुनाव को लेकर अलग-अलग सर्वे में भाजपा को बढ़त दिखाई गई है। लेकिन अब सी-वोटर के सर्वे में एक और दावा किया गया है, जो चौंकाने वाला है। सी-वोटर सर्वे के मुताबिक गुजरात चुनाव में मुस्लिम मतदाताओं के बीच भी भाजपा की अच्छी पैठ है। सर्वे के मुताबिक कांग्रेस के पाले में 47 फीसदी मुसलमान वोटर जा सकते हैं। वहीं मुस्लिमों की नुमाइंदगी का दम भरने वाले ओवैसी को 9 फीसदी वोट ही मिलने की संभावना है। यहां चौंकाने वाला तथ्य यह है कि भाजपा को 19 फीसदी मुस्लिम वोट दे सकते हैं। वहीं आम आदमी पार्टी के पाले में 25 पर्सेंट तक वोट पाने का अनुमान है। भाजपा के खाते में 19 फीसदी वोट जाना भले ही बड़ा आंकड़ा नहीं है, लेकिन भाजपा के पुराने रिकॉर्ड को देखते हुए राजनीतिक विश्लेषकों को हैरान करने वाला है। इसी साल हैदराबाद में हुई भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में पीएम नरेंद्र मोदी ने भाजपा को मुस्लिमों के बीच भी जाने की सीख दी थी। खासतौर पर उन्होंने कहा था कि हमें पसमांदा मुस्लिमों पर फोकस करना चाहिए, जिन्हें अब तक राजनीतिक प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। उन्होंने इस दौरान गुजरात में भाजपा की ओर से प्रयोग का भी जिक्र किया था और कहा था कि वहां पसमांदा मुस्लिमों का एक तबका भाजपा को वोट देता रहा है।अब सर्वे के दावों ने पीएम नरेंद्र मोदी की कोशिशों पर मुहर लगाई है। साफ है कि भाजपा अब पसमांदा मुस्लिमों को लुभाने की कोशिशों में तेजी से जुट गई है। यूपी के बरेली में भी रविवार को पसमांदा मुस्लिमों की एक रैली हुई थी, जिसमें बड़ी संख्या में मुस्लिमों ने योगी और मोदी जिंदाबाद के नारे लगाए। उत्तर प्रदेश जैसे ध्रुवीकरण वाले राज्य में ऐसा दृश्य देखना काफी अलग था। साफ है कि भाजपा की पसमांदा मुस्लिमों को जोड़ने की कोशिशों का छिटपुट ही सही, लेकिन अब असर दिखने लगा है। बता दें कि भाजपा लगातार यह कहती रही है कि उसकी सरकारों ने कभी जाति और धर्म के आधार पर योजनाएं नहीं तैयार कीं। उसकी सत्ता के दौरान योजनाओं का सबसे ज्यादा अल्पसंख्यकों को ही मिला है। दरअसल भाजपा की मुस्लिमों के बीच पैठ की कोशिश सेकुलरिज्म की राजनीति करने वाली पार्टियों के लिए नींद उड़ाने जैसा है। यूपी में समाजवादी पार्टी और बसपा, गुजरात में कांग्रेस, महाराष्ट्र में कांग्रेस, एनसीपी जैसी पार्टियों को भाजपा की रणनीति से झटका लग सकता है। पहले से ही कई राज्यों में भाजपा 40 फीसदी से ज्यादा वोट हासिल कर रही है। ऐसे में अल्पसंख्यकों के बीच उसकी बढ़ती पहुंच उसके दायरे को विस्तार दे सकती है। हालांकि गुजरात के नतीजों से यह साफ होगा कि अल्पसंख्यकों के बीच वास्तव में भाजपा की कितनी पैठ बनती दिख रही है।
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