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आईआईटी मद्रास ने बनाया पहला मोटर चालित व्हीलचेयर


  • नई दिल्ली, । भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास ने भारत का पहला स्वदेशी मोटर चालित व्हीलचेयर वाहन विकसित किया है जिसका उपयोग न केवल सड़कों पर बल्कि ऊबड़-खाबड़ इलाकों में भी किया जा सकता है।

नियोबोल्ट’ नाम से बने स्वदेशी मोटर चालित व्हीलचेयर की अधिकतम गति 25 किमी प्रति घंटा है और यह प्रति चार्ज 25 किमी तक की यात्रा कर सकती है। यह व्हीलचेयर यूजर्स को कार, ऑटो रिक्शा या स्कूटर की तुलना में अधिक सुविधा और सेफ्टी प्रदान करती है।

पूरी विकास प्रक्रिया के दौरान आईआईटी मद्रास के शोधकर्ताओं ने लोकोमोटर विकलांगता वाले लोगों के बीच काम करने वाले संगठनों और अस्पतालों के साथ बड़े पैमाने पर सहयोग किया और उनके अनुभवों को ध्यान में रखते हुए और निरंतर डिजाइन समायोजन करते हुए उत्पादों का निर्माण किया।

इन्होंने किया विकसित

नियोबोल्ट को आईआईटी मद्रास की मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग की प्रो. सुजाता श्रीनिवासन के नेतृत्व में एक टीम द्वारा विकसित किया गया। इसे ‘नियोमोशन’ नामक स्टार्टअप के माध्यम से व्यावसायीकरण किया गया है। स्टॉर्टअप को प्रो. सुजाता श्रीनिवासन और एक आईआईटी मद्रास के पूर्व छात्र द्वारा सह-स्थापित किया गया है। स्वास्तिक सौरव दास नियोमोशन के सीईओ हैं।

प्रो. सुजाता श्रीनिवासन ने उस टीम का भी नेतृत्व किया, जिसने भारत की पहली स्वदेशी रूप से डिज़ाइन की गई स्टैंडिंग व्हीलचेयर ‘अराइज़’ विकसित की, जो व्हीलचेयर उपयोगकर्ता को बैठने से खड़े होने की स्थिति में स्थानांतरित करने में सक्षम बनाती है।

प्रो. सुजाता श्रीनिवासन, फैकल्टी हेड, टीटीके सेंटर फॉर रिहैबिलिटेशन रिसर्च एंड डिवाइस डेवलपमेंट (R2D2), IIT मद्रास ने कहा कि हम भारत में विकलांगता के नजरिए को बदलना चाहते हैं। ह आप कितनी बार किसी स्कूल, कार्यालय, दुकान या थिएटर में व्हीलचेयर उपयोगकर्ता को देखते हैं? व्हीलचेयर यूजर्स आमतौर पर अपने घर की चार दीवारों तक ही सीमित रहते हैं, जो उनकी सामुदायिक भागीदारी और अर्थव्यवस्था में योगदान करने की उनकी क्षमता को प्रभावित करता है। स्टार्ट-अप ने स्वास्थ्य और जीवन शैली को बढ़ाने के लिए डिज़ाइन किया गया एक व्यक्तिगत व्हीलचेयर ‘नियोफली’ भी विकसित किया है।