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आखिरी सांस तक जेल में रहेगा यासीन मलिक, टेरर फंडिंग मामले में एनआइए कोर्ट ने सुनाई उम्रकैद की सजा


नई दिल्ली : कश्मीर में आतंकी व अलगाववादी गतिविधियों के लिए टेरर फंडिंग दोषी यासीन मलिक अब आखिरी सांस तक जेल में रहेगा। बुधवार को दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट के विशेष एनआइए न्यायाधीश प्रवीण सिंह ने यासीन मलिक को गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई। उस पर विभिन्न धाराओं के तहत 10 लाख 75 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। अदालत ने 19 मई को मलिक को दोषी करार दिया था। 2017 में एनआइए ने उसे गिरफ्तार किया था, तब से वह जेल में ही है।

आतंकी संगठन जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के चेयरमैन यासीन मलिक को बुधवार को कड़ी सुरक्षा में पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया गया। अदालत ने सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद कहा कि अदालत अपना निर्णय साढ़े तीन बजे सुनाएगी। यह समय कई बार बढ़ाया गया। आखिर शाम करीब छह बजे विशेष न्यायाधीश ने अपना निर्णय पढ़ना शुरू किया।

इससे पूर्व सजा पर बहस के दौरान यासीन के तेवर बदले हुए नजर आए। 10 मई को उसने सभी आरोप स्वीकार किए थे, लेकिन बुधवार को उसने कहा कि वह कभी भी हिंसात्मक गतिविधि में शामिल नहीं रहा। खुफिया एजेंसियों के आरोप सही नहीं हैं। एजेंसी किसी भी आरोप को सिद्ध नहीं कर सकती। इस पर विशेष न्यायाधीश प्रवीण सिंह ने कहा कि आरोपों के खिलाफ बात रखने का समय दिया गया था। अब अपनी सजा कम कराने को लेकर पक्ष रखे। इस पर यासीन ने कहा कि अदालत जो चाहे तय कर सकती है। हालांकि, अदालत की ओर से नियुक्त न्याय मित्र ने मामले में न्यूनतम सजा के रूप में आजीवन कारावास की मांग की। इससे पहले एनआइए ने मृत्युदंड की मांग की थी।