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आखिर क्यों, नरेंद्र गिरि ने सुसाइड नोट के साथ ही लिखा अपना वसीयतनामा


  • नई दिल्ली।अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि की बहुत ही संदिग्ध हालातों में मौत हो गई है। इनका प्रयागराज के बाघंबरी मठ में शव पंखे से लटका मिला है। शव के साथ सुसाइड नोट भी मिला है, जिसमे मंहत ने अपना दर्द बयां किया है। पुलिस का दावा है कि नरेंद्र गिरि ने आत्महत्या की है लेकिन एक तरफ शक की सुई हत्या पर रुक रही है। महंत ने सुसाइड नोट के साथ साथ अपना वसीयतनामा भी लिखा है।

सुसाइड नोट में शिष्य आनंद गिरि का ज्यादा जिग्र

एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि सुसाइड नोट में उन्होंने आत्महत्या करने की बात लिखी है। गिरि के कई पन्ने के सुसाइड नोट में शिष्य आनंद गिरि के बारे में ज्यादा चर्चा है। उन्होंने एक तरह से मठ और आश्रम को लेकर वसीयत भी लिख दी है। पुलिस का कहना है कि सुसाइड नोट की फोरेंसिक जांच होगी।

सुसाइड नोट

एडीजी प्रशांत कुमार ने बताया कि ” सुसाइड नोट में उन्होंने लिखा है कि मठ और आश्रम को लेकर आगे क्या करना है। किस तरह से व्यवस्था होगी। क्या करना है “। एक तरह से सुसाइड नोट में उनका वसीयतनामा है। इसमें विस्तार से लिखा है कि किसे क्या देना है और किसके साथ क्या करना है।

सूत्रों के अनुसार उन्होंने ‘आनंद गिरी’ का नाम लिखा है। उन्होंने लिखा है कि ” वह अपने एक शिष्य से दुखी हैं। मैं सम्मान के बिना नहीं रह सकता। अब समझ नहीं आ रहा कि क्या कर सकता हूं। उन्होंने बेहद मार्मिक बातें लिखी हैं। उन्होंने अपनी गद्दी किसे सौंपनी है इस बारें भी लिखा है “।
सूत्रों की मानेंतो पिछले दिनों आनंद गिरी से उनका बड़ा विवाद हो गया था। आनंद गिरी को मठ से निष्कासित कर दिया गया था। हालांकि बाद में आनंद गिरी के माफी मांगने पर सुलह हो गया था। नरेंद्र गिरि की मौत को लेकर आनंद गिरी ने हत्या की आशंका जताई है।

आनंद गिरी ने कहा कि ” मैं फिलहाल हरिद्वार में हूं। वहां से प्रयागराज के लिए रवाना हो गया हूं। आनंद गिरी का कहना है कि ये आत्महत्या नहीं हत्या है “। आनंदगिरी ने कहा कि ” मैं बाल्यकाल से उनका शिष्य रहा हूं। हम लोगों को अलग करने की लगातार कोशिश होती रही है। मेरे साथ उनका कोई विवाद नहीं था “।

मेरी भी जान ली जा सकती हैः आनंद गिरि

आनंद ने कहा कि ” कुछ लोग मठ की जमीन बेचना चाहते थे। मैं उसका विरोध करता था। उन्हीं लोगों ने हम लोगों के बीच अलगाव कराया। उन लोगों ने ही गुरुजी को पहले मुझसे दूर किया और अब उन्हें छीन लिया है। सनातन धर्म की यह सबसे बड़ी हानि है। इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। तत्काल इसकी उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए। आनंद गिरी ने किसी का नाम तो नहीं लिया लेकिन कहा कि यह सब एक षडयंत्र है। मेरी भी जान ली जा सकती है “।