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आतंकवाद पर चीन फिर हुआ बेनकाब, संयुक्त राष्ट्र में इस पाकिस्तानी आतंकी पर प्रतिबंध लगाने में डाला अड़ंगा


नई दिल्ली।   पड़ोसी देश चीन की कथनी और करनी में कितना बड़ा फर्क है इसका एक ताजा उदाहरण बुधवार को देर रात संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में देखने को मिला। भारत और अमेरिका ने जैश ए मोहम्मद के आतंकी अब्दुल रऊफ अजहर को संयुक्त राष्ट्र की तरफ से प्रतिबंधित करने का प्रस्ताव रखा था जिसे चीन के विरोध की वजह से पारित नहीं कराया जा सका। यह तब हुआ है जब दो दिन पहले ही चीन ने संयुक्त राष्ट्र में ही एक बैठक में कहा था कि आतंकवाद के मुद्दे पर राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए।

कुछ हफ्ते पहले ही लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी अब्दुल रहमान मक्की को प्रतिबंधित करने के प्रस्ताव को भी चीन की वजह से पारित नहीं कराया जा सका था। इस बार यूएनएससी में अब्दुल रऊफ अजहर को लेकर पेश प्रस्ताव का सिर्फ चीन ने विरोध किया जबकि अन्य सभी 14 सदस्यों ने इसका समर्थन किया। जाहिर है कि चीन एक बार फिर आतंकवाद के मुद्दे पर बुरी तरह से बेनकाब हुआ है।

आतंकवाद पर चीन का रहा दोहरा रवैया

पिछले कुछ वर्षों से देखा जाए तो अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के मुद्दे पर चीन का रवैया हमेशा से इसी तरह से दोहरा रहा है। जून, 2022 में ब्रिक्स देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक में चीन ने आतंकवाद के मुद्दे पर सभी देशों के साथ मिल कर लड़ाई लड़ने की बात कही और संयुक्त बयान जारी किया लेकिन उसके बाद जब भारत ने एलईटी के आतंकी मक्की को प्रतिबंधित करने का प्रस्ताव रखा तो वह अपने मित्र देश पाकिस्तान की हिमायत करता दिखा।

मसूद अजहर का छोटा भाई है अब्दुल रउफ

यह भी बताते चलें कि जैश आतंकी रऊफ जैश के सरगना मौलाना मसूद अजहर का छोटा भाई है और कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों व भारत विरोधी गतिविधियों में संलग्न रहता है। जब से फाइनेंशिएल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की वजह से मसूद अजहर की सार्वजनिक गतिविधियों पर लगाम लगा है तब से पाकिस्तान खुफिया एजेंसी ने रऊफ को आगे कर रखा है।

रऊफ और मक्की दोनों पाकिस्तान में हैं। स्थानीय समाचार पत्रों में उनके कई बार सार्वजनिक सभाओं में उपस्थित होने और भारत विरोधी सभाओं में हिस्सा लेने की सूचनाएं आती रहती हैं।

कुछ देश अपना रहे दोहरा चरित्र

मजेदार तथ्य यह है कि दो दिन पहले यूएनएससी में आतंकवाद पर बैठक थी जिसमें भारत की प्रतिनिधि रूचिका कम्बोज ने चीन और पाकिस्तान के दोहरे चरित्र को बखूबी सामने लाने की कोशिश की थी। कम्बोज ने कहा था कि यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि आतंकवादियों के खिलाफ बेहद ठोस सबूतों के बावजूद विश्व बिरादरी कुछ देशों की वजह से उन पर कार्रवाई नहीं कर सकती। कुछ देश लगातार इस बारे में दोहरा चरित्र अपना रहे हैं।

छह महीने तक अब नहीं लाया जा सकता प्रस्ताव

सनद रहे कि एक बार किसी आतंकवादी के खिलाफ प्रस्ताव पारित नहीं होने पर वह प्रस्ताव दोबारा छह महीने तक नहीं लाया जा सकता। इस तरह से अब एलईटी के मक्की और जैश के रऊफ के खिलाफ दोबारा प्रस्ताव लाने के लिए छह महीने इंतजार करना होगा। चीन ने पूर्व में लश्कर के सरगना मसूद अजहर के खिलाफ प्रस्ताव को भी कई वर्षों तक लटकाये रखा था। बाद में अमेरिका, फ्रांस के दबाव में इस पर सहमति बन पाई थी।