संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों ने एक रिपोर्ट में कहा कि हाल ही में सशक्त किए गए तालिबान में इतनी क्षमता है कि वह अलकायदा समेत विभिन्न आतंकी संगठनों के लिए अफगानिस्तान को सुरक्षित पनाहगार बना सकता है। हाल के दिनों के मुकाबले अब आतंकी संगठनों को वहां हर तरह की आजादी मिल रही है। इस बीच, तालिबान ने संयुक्त राष्ट्र की इस रिपोर्ट के तथ्यों से इनकार किया है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पैनल की ओर से तैयार रिपोर्ट में कहा गया है कि तालिबानी शासन में अलकायदा और आइएस जैसे आतंकी संगठन वहां फलफूल रहे हैं। अफगानिस्तान से अमेरिकी सेनाओं के जाने के बाद विगत वर्ष 15 अगस्त को तालिबान अफगानी सत्ता पर काबिज हो गया था। तब से करीब छह महीने में अफगानिस्तान में आतंकी संगठनों के लिए माहौल बेहद अनुकूल हो गया है। विशेषज्ञों के मुताबिक बिन लादेन का सुरक्षा संयोजक रहा अमीन मुहम्मद अल हक साम खान अगस्त के अंत में अफगानिस्तान लौट आया। इसीतरह बिन लादेन का बेटा अब्दुल्ला भी अपने तालिबानी मित्रों से मिलने अक्टूबर में अफगानिस्तान आया था। इसके अलावा, अलकायदा आतंकी अयान अल-जवाहरी भी जिंदा बताया गया है और उसे पिछले साल जनवरी में वहां देखा गया है।
आतंकियों की रोकथाम के लिए तालिबान ने नहीं उठाया कोई कदम
विशेषज्ञ दल का कहना है कि तालिबान ने देश में विदेशी आतंकियों की रोकथाम के लिए कोई भी कदम नहीं उठाया है। इसके विपरीत उन्हें कुछ भी करने की अत्यधिक आजादी मिली हुई है। जबकि तालिबान ने अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से यह वादा किया है कि वह अफगानिस्तान में आतंकवाद को पनपने नहीं देगा।