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आत्मनिर्भरताका अर्थ दुनियासे अलग-थलग रहना नहीं- निर्मला सीतारमण


नयी दिल्ली (आससे.)। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि ‘आत्मनिर्भरताÓ का अर्थ दुनिया से अलग-थलग रहना नहीं है, बल्कि यह एक मजबूत और सक्षम परस्पर निर्भरता है, जो घरेलू जरूरतों को पूरा करने के साथ-साथ वैश्विक वैल्यू चेन से जुड़ने की क्षमता रखती है।आज एसबीआई कॉन्क्लेव 2025 को संबोधित करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि ‘आत्मनिर्भर भारतÓ की परिकल्पना एक ऐसे राष्ट्र की है जो अपने लिए और दुनिया के लिए डिजाइन, उत्पादन और नवाचार करता है, एक ऐसी अर्थव्यवस्था जो आत्मविश्वास, उद्यमिता और संवेदनशीलता से प्रेरित हो। सीतारमण ने कहा कि आत्मनिर्भरता आर्थिक शक्ति, तकनीकी क्षमता, सामाजिक सशक्तिकरण और पर्यावरणीय जिम्मेदारी का संगम है — जिसका अंतिम लक्ष्य 2047 तक विकसित भारत का निर्माण है। वित्त मंत्री ने ‘आत्मनिर्भर भारतÓ के पाँच प्रमुख आयाम हैं जिसमें आर्थिक आत्मनिर्भरता, सामाजिक आत्मनिर्भरता, तकनीकी आत्मनिर्भता, सामरिक आत्मनिर्भरता और ऊर्जा आत्मनिर्भरता शामिल है।निर्मला सीतारमण ने कहा कि विकसित भारत 2047 को आत्मनिर्भरता के माध्यम से हासिल करने का कार्य 2014 से ही शुरू हो चुका है। इसके साथ ही, उन्होंने सभी बैंकों से एचआर नीतियों पर जोर देते हुए कहा कि भर्ती केवल संख्या बढ़ाने के लिए नहीं होनी चाहिए, बल्कि यह सुनिश्चित करने के लिए हो कि हर कर्मचारी अपने ग्राहक को समझे और स्थानीय भाषा में संवाद कर सके। वित्त मंत्री ने स्थानीय भाषा आधारित परफॉर्मेंस-अपरेजल सिस्टम लागू करने की भी वकालत की। वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार का उद्देश्य फ्यूचर्स और ऑप्शंस (एफ&ओ) ट्रेडिंग को बंद करना नहीं, बल्कि उसमें मौजूद बाधाओं को दूर करना है। साथ ही उन्होंने यह भी जोड़ा कि जोखिम को समझना निवेशकों की जिम्मेदारी है। बता दें कि हाल ही में सेबी प्रमुख तुहिन कांत पांडे ने कहा था कि वीकली एफ&ओ एक्सपायरी को बंद करना कोई समाधान नहीं है, क्योंकि कई बाजार सहभागियों के लिए यह जरूरी है। सेबी इन पैटर्न्स पर बड़ा डेटा एकत्र कर विश्लेषण कर रहा है, जिसे सार्वजनिक परामर्श के रूप में जारी किया जाएगा।
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