मुनस्यारी। Uttarakhand News: चीन सीमा से लगे गांवों में किसी का बीमार पड़ जाना लोगों को आदिम युग में ले आता है। कहने को गांवों के नजदीक तक सड़क पहुंच चुकी है, लेकिन अभी वाहनों से सफर दूर की मंजिल है। सड़क तो दूर पैदल रास्ते भी चलने लायक नहीं हैं। ऐसे में पूरे गांव को ही एकजुट होकर मरीजों को अस्पताल पहुंचाना पड़ता है।
रालम गांव में बीमार पड़े दो लोगों को पूरे गांव के युवाओं ने तीन दिन में करीब 36 किमी की पैदल दूरी तय कर सड़क तक पहुंचाया, जहां से वाहन के जरिये दोनों को अस्पताल लाया गया। रालम गांव निवासी 60 वर्षीय चंद्र सिंह ढकरियाल और त्रिलोक सिंह पिछले दो सप्ताह से बीमार पड़े थे।
ग्रामीणों ने प्रशासन को दी सूचना
गांव में उपचार की कोई सुविधा नहीं है। हालत बिगड़ने पर ग्रामीणों ने इसकी सूचना प्रशासन को दी। प्रशासन ने दोनों को रेस्क्यू करने के लिए हेलीकाप्टर की व्यवस्था भी कर ली, लेकिन खराब मौसम आड़े आ गया। हेलीकाप्टर उड़ान नहीं भर सके।
दोनों की खराब हालत को देखते हुए क्षेत्र पंचायत सदस्य विजय दरियाल और समाजसेवी नरेंद्र दरियाल ने गांव के लोगों को एकजुट किया। गांव में ही लकड़ी के डंडों से स्ट्रैचर तैयार किए गए।
युवाओं ने सोमवार को गांव से दोनों बीमार व्यक्तियों को लकड़ी के स्ट्रैचर के सहारे खतरनाक पैदल रास्तों से तीन दिन का सफर कर पांतू तक सड़क तक पहुंचाया।
अलग-अलग गांवों में रात्रि विश्राम
इन तीन दिनों में युवाओं को रात में पैदल रास्तों में सफर की कोई गुजांइश नहीं होने पर अलग-अलग गांवों में रात्रि विश्राम करना पड़ा। दोनों मरीजों को मुनस्यारी लाया गया है, जहां से शुक्रवार को उन्हें उपचार के लिए हल्द्वानी सेंटर ले जाया जाएगा।