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आपातकाल पर बोले पीएम मोदी- नहीं भुलाया जा सकता आज का दिन, लोकतांत्रिक भावना को करेंगे मजबूत


  • नई दिल्ली, : भारत के इतिहास में 25 जून का दिन कभी भी भुलाया नहीं जा सकता है, जहां 1975 में आज ही के दिन तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने इंदिरा गांधी के कहने पर भारतीय संविधान की धारा 352 के तहत आपातकाल की घोषणा कर दी थी। ये आपातकाल पूरे 21 महीने तक लागू रहा और उस दौरान हजारों निर्दोष लोगों को जेलों में डाल दिया गया। हालांकि बाद में जनता ने इंदिरा गांधी को सबक सिखाया और उन्हें सत्ता से बेदखल कर दिया। अब आपातकाल के 46 साल पूरे होने पर पीएम मोदी ने भी उसकी निंदा की है।

पीएम ने ट्वीट कर लिखा कि आपातकाल के काले दिनों को कभी भुलाया नहीं जा सकता। 1975 से 1977 की अवधि में संस्थानों का व्यवस्थित विनाश देखा गया। आइए हम भारत की लोकतांत्रिक भावना को मजबूत करने और हमारे संविधान में निहित मूल्यों को जीने के लिए हर संभव प्रयास करने का संकल्प लें। वहीं गृहमंत्री अमित शाह ने लिखा कि एक परिवार के विरोध में उठने वाले स्वरों को कुचलने के लिए थोपा गया आपातकाल आजाद भारत के इतिहास का एक काला अध्याय है। 21 महीनों तक निर्दयी शासन की क्रूर यातनाएं सहते हुए देश के संविधान और लोकतंत्र की रक्षा के लिए निरंतर संघर्ष करने वाले सभी देशवासियों के त्याग व बलिदान को नमन।

क्यों लगाया था आपातकाल?

दरअसल 12 जून 1975 को इलाहाबाद हाईकोर्ट का एक फैसला आया। जिसमें इंदिरा गांधी को रायबरेली के चुनाव अभियान में सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग का दोषी पाया गया। इसके बाद उस चुनाव को खारिज कर दिया गया। साथ ही इंदिरा गांधी के 6 साल तक चुनाव लड़ने या फिर किसी पद को संभालने पर रोक लगा दी गई। इसके खिलाफ इंदिरा गांधी सुप्रीम कोर्ट पहुंचीं और 25 जून 1975 को वहां से भी उन्हें झटका लगा। वैसे तो सर्वोच्च अदालत ने हाईकोर्ट के आदेश को सही बताया लेकिन उन्हें पद पर बने रहने की इजाजत दी। इसके बाद देशभर में विरोध का सिलसिला शुरू हुआ, जिसे कुचलने के लिए इंदिरा गांधी ने संविधान की धारा 352 के तहत राष्ट्रीय आपातकाल घोषित कर दिया।