धारचूला : चीन सीमा से सटे आदि कैलास धाम तक अब श्रद्धालुओं की पहुंच आसान हो जाएगी। चार किलोमीटर लंबी इस सड़क पर डामरीकरण शुरू हो गया है। प्रतिकूल मौसम के बावजूद बीआरओ के जवान 11000 फीट की ऊंचाई पर डामरीकरण के कार्य में डटे हुए हैं। गुंजी से नावी के बीच सड़क के करीब चार किलोमीटर हिस्से में डामर लगना शुरू हो गया है। नावी के पास ही आदि कैलास स्थित है। आदि कैलास की यात्रा को कैलास मानसरोवर के बराबर ही धार्मिक महत्व प्राप्त है। सड़क कच्ची होने के कारण अभी तक श्रद्धालुओं को खासी दिक्कतें होती थीं।
ज्यादातर लोग कैलास मानसरोवर के बारे में ही जानते हैं। लेकिन आदि कैलास को भी कैलास का ही दर्जा प्राप्त है। इसे पंच कैलास में से एक माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार भोलेनाथ जब माता पार्वती को ब्याहने के लिए जा रहे थे तो इसी स्थान पर उन्होंने अपना पड़ाव डाला था। कैलास मानसरोवर यात्रा के बाद आदि कैलास यात्रा को सबसे पवित्र माना जाता है। बता दें कि आदि कैलास उत्तराखंड राज्य में तिब्बत सीमा के करीब स्थित है। आदि कैलास का स्वरूप भी कैलास मानसरोवर जैसा ही है। आदि कैलास को छोटा कैलास भी कहा जाता है।